Argentina Protest Rule: अर्जेंटीना की नई नवेली सरकार विरोध प्रदर्शनों के निपटने के लिए नए कायदे-कानून लाने की तैयार कर रही है. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जेवियर मिलेई और उनके सहयोगी ने देश की मुद्रा का अवमूल्यन करीब पचास फीसदी तक कर दिया है. यानी मुद्रा का कमजोर किया है. इस कदम को मिलेई सरकार आर्थिक सुधार की ओर एक कदम बताती है. लेकिन इस फैसले से देश में कई लोग नाराज भी हुए हैं. 


इन लोगों से निपटने के लिए सरकार ने नए दिशा-निर्देश बनाए हैं. विरोध करने वाले व्यक्तियों और संगठनों की पहचान "वीडियो, डिजिटल या मैन्युअल जरिए की जाएगी और फिर उनके प्रदर्शनों पर पुलिस सुरक्षा बल भेजने की लागत का बिल दिया जाएगा. यानी विरोध करने वाले लोगों पर पुलिस के खर्चों का बिल दिया जाएगा. राष्ट्रपति मिलेई की सुरक्षा मंत्री पेट्रीसिया बुलरिच ने कहा, सरकार सुरक्षा बलों के इस्तेमाल के लिए भुगतान नहीं करने जा रही है. जिन संगठनों के पास कानूनी दर्जा है उन्हें खुद भुगतान करना होगा. 


'विरोध के अधिकार को दबाने की कोशिश'


नए नियमों का मकसद विरोध के पारंपरिक तरीके को रोकना है जिसे 'पिकेट' कहा जाता है. पिकेट के मुताबिक प्रदर्शनकारी शहर की सड़कों और हाइवे को घंटों तक या फिर कई दिनों तक और कभी-कभी हफ्तों तक रोक देते हैं. बुलरिच ने कहा, "हम कई सालों से पूरी तरह अव्यवस्था में जी रहे हैं. अब समय आ गया है कि इस सिस्टम को ख़त्म किया जाए."


हालांकि सरकार ने फुटपाथ पर विरोध प्रदर्शन की मंजूरी दे दी है. लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता और विपक्षी पार्टी इन नियमों को वैध नहीं मानती हैं. उनका मानना है कि इस नियम से विरोध का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा और अगर कोई जायज विरोध करेगा तो उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. वे कहते है कि ये नियम विरोध के अधिकार को दबाने के लिए लाया गया है. 


वामपंथी विधायक और पूर्व राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मरियम ब्रेगमैन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा: "बुलरिच ने जो घोषणा की वह बिल्कुल असंवैधानिक है... विरोध करने का अधिकार सभी अधिकारों में से पहला है.


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