पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले आठ महीने से चले आ रहे भारत और चीन के बीच तनाव को लेकर बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के दिए बयान से चीन तिलमिला गया है. इसके बाद वह दोनों देशों के बीच तनाव को लेकर उल्टा भारत पर ही दोष मढ़ रहा है. बीजिंग ने गुरुवार को कहा कि भारत और चीन द्विपक्षीय संबंधों की चुनौतियों से गुजर रहे हैं. इसके साथ ही, उसने एलएसी पर चल रहे विवाद के लिए नई दिल्ली को कसूवार ठहाराया है.


चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा- भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध बहाल करने के लिए सामान्य प्रयासों की आवश्यकता था. बीजिंग की तरफ से यह प्रतिक्रिया बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक इंटरनेशनल थिंक टैंक के साथ चर्चा के दौरान दिए गए बयान पर आया है. जयशंकर ने कहा कि सीमा पर पिछले कई महीने से चले आ रहे गतिरोध के चलते द्विपक्षीय संबंध पिछले तीन-चार दशक में सबसे मुश्किल स्थिति में है.


मौजूदा तनाव और सीमा पर शांति को बनाए रखने के लिए बने द्विपक्षीय संबंधों के उल्लंघन में बीजिंग की भूमिका का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा- अब कुछ कारणों से चीन पूर्वी लद्दाख में नियमों के उल्लंघन को लेकर पांच अलग तर्क दे रहा है.


चीन के साथ 5 मई के बाद से ही एलएसी पर विवाद बना हुआ है, जिसके चलते नई दिल्ली और बीजिंग के प्रयासों के बावजूद दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक तौर पर दूरियां बन गई है. जयशंकर के बयान पर जब चीनी विदेश मंत्रालय से पूछा गया तो उन्होंने पहले की ही तरह समस्या के लिए नई दिल्ली को कसूरवार ठहराया.


हुआ चुनयिंग ने कहा, “सीमा क्षेत्र में स्थिति बहुत स्पष्ट है और इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से भारतीय पक्ष के पास है. दोनों देशों के बीच बने समझौतों का चीन कड़ाई के साथ पालन कर रहा है और सीमा पर शांति बहाली  और स्थायित्व लाने के लिए बातचीत से समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है.

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