रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर और उनके परिवार के ऊपर राष्ट्रपति नहीं रहने के बावजूद भी किसी तरह का कोई आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा. रूस के सभी राजनेताओं ने इसको लेकर लाए गए एक विधेयक का समर्थन किया है. यह विधेयक उन संवैधानिक संशोधन का हिस्सा है जिन्हें जुलाई में एक जनमत संग्रह में सहमति दी गई थी.


बीबीसी की खबर के मुताबिक, यह बिल दोनों सदनों में आसानी से पास हो गया क्योंकि पुतिन समर्थकों का रूस के दोनों सदनों में समर्थन हासिल है. व्लादिमीर पुतिन का कार्यकाल साल 2024 में खत्म हो रहा है, लेकिन संशोधन उन्हें अगले 12 साल यानी 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहने की इजाजत देता है. पुतिन इस समय 68 साल के हैं और इस बिल के आने के बाद उनके राजनैतिक भविष्य को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है. वह रूस में साल 2000 से ही सत्ता में हैं और उनका गहरा असर है.


इधर, इस संशोधन का रूस के सिर्फ एक जिवित पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव को भी व्लादिमीर पुतिन के साथ फायदा मिलेगा. इस नए विधेयक के तहत रूस के पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार के लोगों को पुलिस की पूछताछ और जांच से छूट होगी. इसके साथ ही इन लोगों की संपत्तियों की भी जांच नहीं की जा सकेगी. हालांकि, राजद्रोह और गंभीर अपराध के मामले में इन पूर्व राष्ट्रपतियों के ऊपर भी मुकदमा चलाया जा सकेगा.


पुतिन के अगले साल इस्तीफे की चर्चा तेज


करीब 21 सालों से रूस की सत्ता संभाल रहे राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अगले साल अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि व्लादिमिर पुतिन को गंभीर पार्किंसंस की बीमारी है. बताया जा रहा है कि पुतिन की 37 साल की गर्लफ्रेंड एलिना काबेवा और उनकी दो बेटियां  35 साल की मारिया वोर्त्सोवा और 34 साल की कतेरीना तिखोनोवा राष्ट्रपति का पद छोड़ने के लिए उनपर दबाव बना रही हैं. मॉस्‍को के राजनीति विज्ञानी वलेरी सोलोवेई ने बताया है कि पुतिन अगले साल जनवरी में किसी और को सत्ता सौंप सकते हैं. उन्‍होंने कहा कि संभवत: पुतिन पार्किसंस से जूझ रहे हैं और हालिया फुटेज में उनकी इस बीमारी के लक्षण दिखाई दिए हैं.


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