लखनऊ: यूपी में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है. एसपी-कांग्रेस गठबंधन की बीजेपी और बीएसपी से टक्कर है, अखिलेश कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सत्ता को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं,  वहीं बीजेपी भी यूपी की सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है.


पीएम मोदी के लिए क्यों अहम है ये चुनाव


यूपी के चुनाव में बीजेपी ने किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया है. बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे के सामने रखकर चुनाव लड़ रही है.


इस चुनाव में मोदी के सामने यूपी में लोकसभा चुनाव वाली बड़ी जीत दोहराने की चुनौती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को 80 में से 71 सीटें मिली थी. ये चुनाव इसलिए भी अहम है, क्योंकि नोटबंदी के बाद ये पहला बड़ा चुनाव है.


अगर यूपी में सत्ता मिली तो बीजेपी के लिए राज्यसभा में भी सीटों का संकट कम होगा. जीत से पीएम मोदी का कद और बढ़ेगा और इससे 2019 के लोकसभा चुनाव की राह आसान होगी. हारे तो मोदी की लोकप्रियता पर सवाल उठेंगे.


सीएम अखिलेश के लिए क्यों अहम है ये चुनाव


यूपी के चुनाव में अगर सबसे बड़ी परीक्षा किसी की हो रही है तो वो हैं यूपी के सीएम अखिलेश यादव. इस बार का चुनाव अखिलेश के लिए सबसे बड़ी परीक्षा है. अखिलेश जीते तो पार्टी पर  पूरी तरह पकड़ बनेगी. अगर हार गए  तो पार्टी और परिवार में चल रहा विवाद और बढ़ेगा.


यही नहीं इस चुनाव में अखिलेश के बड़े राजनीतिक फैसले का भी टेस्ट हो रहा है. चुनाव के नतीजे बताएंगे कि राहुल गांधी से दोस्ती का फैसला सही था या गलत.


राहुल गांधी के लिए क्यों अहम है ये चुनाव


यूपी में कांग्रेस की खोई राजनीतिक जमीन तलाश रहे राहुल गांधी के लिए ये चुनाव करो या मरो की तरह है. अगर राहुल अगर इस बार कोई करिश्मा नहीं कर पाते हैं तो उनकी आगे की राजनीति के रास्ते मुश्किल हो जाएंगे.


इस चुनाव में एक बार फिर राहुल गांधी के नेतृत्व की बड़ी परीक्षा हो रही है. अगर कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलीं तो राहुल गांधी का कद बढ़ेगा, लेकिन अगर हार हुई तो पार्टी अध्यक्ष बनने की राह मुश्किल हो जाएगी.


चुनाव में जीत से कांग्रेस का मनोबल बढ़ेगा और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए नई उम्मीद जगेगी. अगर राहुल कोई कमाल नहीं दिखा पाते हैं तो अखिलेश के साथ गठबंधन के उनके फैसले पर भी सवाल उठेंगे.


मायावती के लिए क्यों अहम है ये चुनाव


दलित और मुस्लिम वोट के बूते पर मायावती इस बार यूपी की सत्ता को हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. मायावती ने इस बार करीब 100 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है.


मायावती के लिए दोबारा यूपी की सत्ता हासिल करने का मौका है, लेकिन चुनौती बड़ी है. इस चुनाव में मायावती के दलित-मुस्लिम फॉर्मूले की परीक्षा हो रही है. जो वोटर मायावती से दूर हो चुके हैं, उन्हें फिर से साथ जोड़ने की चुनौती भी है. अगर मायावती की पार्टी जीतती है तो जाहिर है उनका कद बढ़ेगा. लेकिन अगर हार हुई तो पार्टी के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे.


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