लखनऊ: यूपी चुनाव में जीत के लिए प्रदेश की चारों बड़ी पार्टियां जी-जान लगाए हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए ये चुनाव बेहद अहम है.


पीएम मोदी के लिए क्यों अहम है ये चुनाव ?


यूपी के चुनाव में बीजेपी ने किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया है. बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे के सामने रखकर चुनाव लड़ रही है. तीन साल पहले यूपी के पूर्वांचल को मोदी ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए चुना था. खुद तो जीते ही प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर पार्टी को जीत दिला दी. वो चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया और इस चुनाव में भी मोदी ही बीजेपी का चेहरा हैं.


पीएम मोदी वाराणसी से सांसद हैं तो सीएम के दावेदार आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हैं. ऐसे में दोनों के लिए चुनौती ज्यादा है जिसके लिए पिछड़े और दलित वोटों पर इस बार खास फोकस है.


मोदी के सामने यूपी में लोकसभा चुनाव जैसी जीत दोहराने की चुनौती है. नोटबंदी के पहला बड़ा चुनाव है लिहाजा उस फैसले का भी रियलटी टेस्ट है. अगर यूपी में सत्ता मिली तो बीजेपी के लिए राज्यसभा में सीटों का संकट कम होगा और  जीत से पीएम मोदी का कद और बढ़ेगा जिससे 2019 के लोकसभा चुनाव की राह आसान होगी. लेकिन हारे तो मोदी की लोकप्रियता पर सवाल उठेंगे.


सीएम अखिलेश के लिए क्यों अहम है ये चुनाव ?


अखिलेश के लिए आज का चुनाव बेहद अहम है. मुलायम के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में भी आज चुनाव हो रहे हैं. आजमगढ़ समाजवादी पार्टी के दबदबे वाला इलाका है.  पिछली बार यहां की दस में से नौ सीटें समाजवादी पार्टी को मिली थी. सिर्फ एक सीट मायावाती के खाते में गई थी.  अखिलेश के सामने अब पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती है.


इस बार का चुनाव अखिलेश के लिए सबसे बड़ी परीक्षा है. अखिलेश जीते तो पार्टी पर  पूरी तरह पकड़ बनेगी. अगर हार गए तो पार्टी और परिवार में चल रहा विवाद और बढ़ेगा. यही नहीं इस चुनाव में अखिलेश के बड़े राजनीतिक फैसले का भी टेस्ट हो रहा है. चुनाव के नतीजे बताएंगे कि राहुल गांधी से दोस्ती का फैसला सही था या गलत.


राहुल गांधी के लिए क्यों अहम है ये चुनाव ?


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी यूपी में कांग्रेस की खोई राजनीतिक जमीन तलाश रहे है. राहुल गांधी के लिए ये चुनाव करो या मरो का सवाल है. अगर राहुल अगर इस बार कोई करिश्मा नहीं कर पाते हैं तो उनकी आगे की राजनीति की राह मुश्किल हो जाएगी. राहुल के नेतृत्व पर भी सवाल उठेंगे. राहुल के सामने पार्टी के कोर वोट को ट्रांसफर करने की चुनौती है.


कोर वोट ट्रांसफऱ हुआ तो गठबंधन को फायदा होगा. साथ ही राहुल गांधी का कद बढ़ेगा लेकिन अगर हार हुई तो पार्टी अध्यक्ष बनने की राह मुश्किल हो जाएगी. चुनाव में जीत से कांग्रेस का मनोबल बढ़ेगा और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए नई उम्मीद जगेगी. अगर राहुल कोई कमाल नहीं दिखा पाते हैं तो अखिलेश के साथ गठबंधन के उनके फैसले पर भी सवाल उठेंगे.


मायावती के लिए क्यों अहम है ये चुनाव ?


दलित और मुस्लिम वोट के बूते पर मायावती इस बार यूपी की सत्ता को हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. आज जिन सात जिलों में चुनाव हो रहे हैं वहां 13 फीसदी मुस्लिम और 19 फीसदी दलित वोटर हैं. आज मुख्तार अंसारी के गढ़ मऊ में मायावती का टेस्ट है.


दलित-मुस्लिम समीकरण के जरिये मायावती एक बार फिर यूपी की सत्ता हासिल करने की कोशिश में जुटी हैं. और इसी कोशिश के तहत उन्होंने दागी मुख्तार अंसारी को भी हाथी पर बिठा लिया है. आज मुख्तार के गढ़ मऊ में मायावती की परीक्षा है. मुख्तार को पार्टी में शामिल करने के फैसले का टेस्ट होगा. अगर दलित-मुस्लिम गठजोड़ का फॉर्मूला चला तो बाजी पलट सकती है.


मायावती के लिए दोबारा यूपी की सत्ता हासिल करने का मौका है लेकिन चुनौती बड़ी है. अगर मायावती की पार्टी जीतती है तो जाहिर है उनका कद बढ़ेगा लेकिन अगर हार हुई तो पार्टी के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे.