लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में विस्फोटक मिलने के बाद से लखनऊ के राजनीतिक गलियारे में हड़कंप है. खतरनाक विस्फोट को विधानसभा के अंदर किसने पहुंचाया और क्यों पहुंचाया ? इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) और एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने साझा जांच शुरू कर दी है.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद एनआईए भी विस्फोटक कांड की जांच में जुट गई है. एनआईए के साथ यूपी का एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड भी इस मामले की जांच कर रहा है. कल देर रात दोनों टीमों ने विधानसभा के चप्पे-चप्पे को खंगाला. दोनों टीमें सीसीटीवी फूटेज की भी जांच कर रही हैं.


 


फॉरेसिंक एक्सपर्ट की टीम ने न सिर्फ मौके की जांच पड़ताल की बल्कि विधानसभा में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी अपने कब्जे में ले लिया है. करीब दो घंटे तक यूपी एटीएस और एनआईए की टीम विधानसभा के अंदर रही. एनआईए आतंकवाद से जुड़े केस की जांच करती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विस्फोटक मिलने की घटना को आतंकी साजिश कहा था और एनआईए से जांच की बात कही थी.



मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल देर शाम सुरक्षा को लेकर हाईलेवल मीटिंग भी की. इसमें गृह सचिव, डीजीपी, एनआईए , एटीएस और इंटेलिजेंस पुलिस के बड़े अफसर शामिल हुए. इस मीटिंग में विधानसभा की सुरक्षा को और पुख्ता करने पर चर्चा हुई.


एनआईए अपनी जांच में ये पता लगाने की कोशिश करेगी कि आखिर ये खतरनाक विस्फोटक विधानसभा के अंदर पहुंचाने की साजिश किसकी है और इसके पीछे क्या मकसद था. कहीं विस्फोटक के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तो निशाना नहीं बनाया जाना था?


इन तमाम सवालों के अलावा एनआईए विस्फोटक और जैश-ए-मोहम्मद के कनेक्शन की भी जांच करेगी, क्योंकि जैश-ए-मोहम्मद ने पिछले दिनों ऑडियो टेप जारी कर दो बार योगी आदित्यनाथ को धमकी दी थी.


बता दें कि 12 जुलाई की सुबह यूपी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिलने का खुलासा हुआ था. फौरेंसिक जांच मे विस्फोटक मिलने की पुष्टि हुई है, हालांकि डेटोनेटर नहीं मिला है. यह विस्फोटक 150 ग्राम की मात्रा में मिला है. विस्फोटक उस जगह पर रखा था जहां तमाम पार्टियों के विधायक बैठते हैं. ये विस्फोटक समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज पांडे की सीट के नीचे मिला है.