नई दिल्लीः बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुकदमा हो सकता है. इन पर आईपीसी की धारा 153(ए) और 295(ए) के तहत मुकदमा हो सकता है. अपराध साबित होने की दशा में इन्हें दो या दो से ज्यादा साल की सजा भी हो सकती है. इस स्थिति में बीजेपी से सांसद अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा को अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ सकती है.


भड़काऊ भाषण देने के मामले में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा पर आईपीसी की इन धाराओं के तहत मुकदमा हो सकता है.


153 A धारा इन लोगों पर लगाई जाती है-
जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर समाज के अलग-अलग लोगों में नफरत को बढ़ावा देते हैं. इस धारा के अंतर्गत समाज में सद्भाव और सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल लोगों को सजा मिलती है. धर्म, क्षेत्रीयता, भाषा के आधार पर समाज में नफरत फैलाने वाले लेख लिखने या भाषण देने वालों पर ये धारा लगती है. इस धारा के तहत 3 साल तक की कैद हो सकती है. अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो सज़ा 5 साल तक की हो सकती है.


धारा 295(ए) के तहत इन पर मुकदमा हो सकता है
इसके साथ ही आईपीसी की धारा 295(ए) के तहत इन पर मुकदमा हो सकता है. जो व्यक्ति किसी धर्म और उससे जुड़ी मान्यताओं का इस उद्देश्य से अपमान करता है कि उस धर्म के मानने वाले लोगों की भावनाएं भड़कें उस पर यह धारा लगाई जाती है. इस धारा के तहत 3 साल तक की सज़ा का प्रावधान है.


बता दें कि दोनों ही धाराओं में अधिकतम सजा 2 साल से ज्यादा की है. ऐसे में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(ए) के तहत 2 साल से ज्यादा की सजा पाने वाले सांसद/विधायक को तुरंत अपनी सदस्यता गंवानी पड़ती है. कपिल मिश्रा तो फिलहाल संसद या विधानसभा के सदस्य नहीं है लेकिन अनुराग ठाकुर या प्रवेश वर्मा सांसद हैं अगर दोनों के ऊपर अपराध साबित होता है और उन्हें 2 साल या उससे ज्यादा की सज़ा होती है, तो उन्हें उनकी संसद सदस्यता भी गंवानी पड़ेगी.


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