सुप्रीम कोर्ट अब सुनवाई के लिए वाट्सएप ग्रुप्स के द्वारा वीडियो कांफ्रेंस लिंक साझा नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने शनिवार को ये जानकारी दी. रजिस्ट्रार ऑफिस ने एक सर्कुलर जारी करते हुए बताया कि, अदालत में वर्चुअल सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंस लिंक साझा करने के लिए वाट्सएप ग्रुप के बजाय उस सुनवाई से सम्बंधित वकीलों और पक्षकारों के पंजीकृत ईमेल आईडी और मोबाईल नंबर का इस्‍तेमाल किया जाएगा. हाल ही में लागू किए गए सूचना एवं प्रौद्योगिकी नियम 2021 (गाइडलाइंस फार इंटरमीडियरी एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्णय लिया है.


1 मार्च से लागू होगा फैसला 


रजिस्ट्रार ऑफिस के सर्कुलर के अनुसार, "1 मार्च से अदालत में वर्चुअल सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंस लिंक की जानकारी सम्बंधित वकीलों और पक्षकारों के पंजीकृत ईमेल आईडी और मोबाईल नंबर पर दी जाएगी." साथ ही सभी वकीलों और पक्षकारों को ये जानकारी भी दी जाती है कि, भारत सरकार द्वारा इंटरनेट, मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म पर लागू किए गए नियमों को ध्यान में रखते हुए अब से वर्चुअल सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंस लिंक साझा करने के लिए वाट्सएप ग्रुप बनाना प्रतिबंधित है.


सरकार ने लागू किए हैं व्यापक नियम 


गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने गुरुवार को सोशल मीडिया कंपनियों के लिए नियमों में बदलाव और इंटरमीडियरी जवाबदेही पर नए दिशा निर्देशों का एलान किया था. साथ ही सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्मस के लिए भी नई गाइडलाइन्स जारी की हैं. जिसे सूचना एवं प्रौद्योगिकी नियम 2021 (गाइडलाइंस फार इंटरमीडियरी एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) का नाम दिया गया है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार ,अब सोशल मीडिया की तीन स्तरीय निगरानी होगी. एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर का नाम भी रखना होगा. ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा. कंपनियों को महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटों के अंदर हटाने होंगे. कंपनियों को नियमों का पालन करने पर हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी. उन्होंने कहा कि जिसने सबसे पहले आपत्तिजनक पोस्ट डाली, उसके बारे में सरकार को बताना पड़ेगा. तीन महीनों के अंदर नियमों का पालन करना होगा.


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