केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया को लेकर नए नियम तय किए हैं. इसके तहत अब वैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म जहां यूजर्स 50 लाख से ज्यादा हैं, उसे (Significant Social Media Intermediary) श्रेणी में रखा जाएगा. नए नियमों के मुताबिक, इस श्रेणी में आने वाली कंपनियों को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म का दुरुपयोग रोकने के लिए कड़ा नियम लगाना होगा. साथ ही अधिक सावधानी से काम करना होगा.

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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को तीन मुख्य अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी. इन अधिकारियों में एक प्रमुख अनुपालन अधिकारी, रेजिडेंट शिकायत अधिकारी और नोडल संपर्क अधिकारी शामिल होंगे. इन तीनों अधिकारियों का भारतीय निवासी होना अनिवार्य है. इन अधिकारियों को मंथली फॉलोअप रिपोर्ट पेश करनी होगी. इस रिपोर्ट में यूजर्स से हर महीने मिलने वाली शिकायतें और उसपर की गई कार्रवाई की डिटेल में जानकारी देनी होगी. साथ ही साथ आपत्तिजनक कंटेंट का भी विवरण देना होगा.

मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर एन्क्रिप्शन को रोकने पर जोर नहीं

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सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार इन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर एन्क्रिप्शन को रोकने पर जोर नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि जब हम पहले ओरिजिनेटर के बारे में बात कर रहे हैं, तो हम उन्हें कंटेंट का खुलासा करने के लिए नहीं कह रहे हैं. सीधा सवाल ये है कि यह शरारत किसने शुरू की? यह केवल उन मुद्दों के संबंध में होगा जहां सजा पांच साल से अधिक है, जैसे कि सुरक्षा, भारत की संप्रभुता, बलात्कार आदि. "उन्होंने कहा कि कानून के दुरुपयोग से बचने के लिए उचित" सुरक्षा उपाय "किए गए हैं."

अब सोशल मीडिया की होगी तीन स्तरीय निगरानी 

अब सोशल मीडिया की तीन स्तरीय निगरानी होगी. एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर का नाम भी रखना होगा. ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा. कंपनियों को महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटों के अंदर हटाने होंगे. कंपनियों को नियमों का पालन करने पर हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी. उन्होंने कहा कि जिसने सबसे पहले आपत्तिजनक पोस्ट डाली, उसके बारे में सरकार को बताना पड़ेगा. तीन महीनों के अंदर नियमों का पालन करना होगा.

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