गुजरात के अमरेली में प्रोफेसर और छात्रा की हैरान करने वाली शादी और फिर तलाक पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.  हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षक का अपने से बहुत कम उम्र की छात्रा को शादी के लिए मजबूर करना क्रूरता के समान है और ये तलाक का आधार बन सकता है.


कानूनी मामलों की रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच में छपी खबर के मुताबिक  4 अगस्त 2011 को अमरेली जिले के ग्राम चक्करगढ़ में 40 साल के एक प्रोफेसर ने अपनी छात्रा के साथ शादी की और उसका रजिस्ट्रेशन भी करवाया.  एक महीने बाद ही छात्रा अपने मायके भावनगर चली गई. खबर का इतना किस्सा शादी के बाद का है.


शादी से पहले प्रोफेसर अपनी छात्रा को हमेशा ये कहता था कि उसे ( छात्रा को ) सबजेक्ट में A ग्रेड लाना होगा. अगर वो ग्रेड A नहीं ला पई तो छात्रा को प्रोफेसर के मनमुताबिक काम करना होगा. प्रोफेसर ने छात्रा का मोबाइल नंबर लिया और कॉल करने लगा.


प्रोफेसर अपनी छात्रा से दोस्ती का रिश्ता बनाए रखना चाहता था. आरोपी प्रोफेसर ने फोन पर कई बार कहा, प्रोफेसर और स्टूडेंट का रिश्ता केवल शाम 6.00 बजे तक रहता है, इसके बाद हम दोस्ती का रिश्ता बनाएंगे और निभाएंगे. 


धीरे-धीरे प्रोफेसर अपनी छात्रा पर शादी का दबाव डालने लगा. लेकिन हैरानी वाली बात ये थी कि आरोपी पहले से ही शादीशुदा भी था और ये बात छात्रा को पहले से पता थी. तब छात्रा ने शादी को टालने के लिए प्रोफेसर के पहले से शादीशुदा होने की बात कही.


तब प्रोफेसर का कहना था कि ये तो अच्छा है कि तुम्हें पहले से दो बच्चे मिलेंगे, और मेरे बच्चों को भी मां का प्यार मिलेगा क्योंकि उसकी पहली पत्नी मर चुकी है. इसके साथ ही धमकी भी दी कि अगर वो  शादी नहीं करोगी तो जान से मार देगा और खुद भी आत्महत्या कर लेगा. 


छात्रा डर और दबाव की वजह से अपने प्रोफेसर के साथ जाने को मजबूर हो गई. छात्रा का ये भी आरोप है कि प्रोफेसर ने पहले ही कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए थे जो बाद में कोर्ट के शादी के कागज साबित हुए. वहीं शादी के बाद ये भी पता चला कि आरोपी की पत्नी भी जिंदा है. 


शादी के 10-15 दिन तक सब कुछ ठीक चल रहा था.  कुछ समय बाद प्रोफेसर ने अपनी नई पत्नी को ताना मारना शुरू कर दिया. खाना पकाने से लेकर घरेलू कामों में प्रोफेसर और उसकी मां उसे डांटते और दुत्कारते. छात्रा की पढ़ाई भी रुकवा दी. कुछ समय बाद पीड़िता से दहेज की भी मांग शुरू कर दी. प्रोफेसर ने छात्रा से फर्नीचर बनवाने के लिए उसके मायके से पैसा मांगने का भी दबाव डाला.


जब छात्रा ने अपने मायके से पैसे मांगने से इनकार कर दिया तो उसे घर से बाहर निकाल दिया गया. प्रोफेसर ने छात्रा के भाई को भी जान से मारने की धमकी दी. तब छात्रा ने उसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कराई. इसके जवाब में प्रोफेसर ने भी अपने ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज की. इसकी सुनवाई पहले पारिवारिक अदालत में हुई इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा. 


प्रोफेसर ने दूसरी पत्नी (छात्रा) के सभी आरोपों से इनकार करते हुए 14 बार लिखित बयान दायर किया. उसने इस बात से भी इनकार किया कि उसने छात्रा से जबरदस्ती शादी की थी. इसके साथ ही छात्रा के परिवार वालों पर आरोप लगाया कि उसे बार-बार जान से मारने की धमकी देते थे.


प्रोफेसर ने ये भी बयान दिया कि छात्रा खुद अपने परिवार वालों की धमकियों से डरकर अपने मायके रहने चली गई थी. उसने ने कोर्ट में ये भी कहा कि मेरी पत्नी ( छात्रा) ने ही मुझसे अपने माता-पिता के खिलाफ केस दर्ज करवाने को कहा था. 


कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता ने प्रोफेसर पर तीन बार गर्भपात कराने का इल्जाम भी लगाया. छात्रा ने इसके सबूत भी पेश किए जो उसके आरोपों को साबित करते थे.


पत्नी ने कोर्ट में ये साबित किया कि उसकी शादी धोखे से हुई.  शादी के बाद संयुक्त परिवार में रहने के लिए उसे धोखे से एक कागज पर साइन भी करवाया गया. अमरेली पॉलिटेक्निक कॉलेज के साक्ष्यों और गवाहों से भी ये बात साबित हुई कि प्रोफेसर अपनी छात्रा को A ग्रेड लाने के लिए कहता था और ऐसा ना होने पर उसे (छात्रा) को प्रोफेसर की 'आज्ञा का पालन' करना होगा.


कोर्ट में ये भी साबित हुआ कि प्रोफेसर छात्रा को कॉल और मैसेज करता था. शादी ना करने पर जान से मारने की धमकी वाली बात भी कोर्ट में साबित हुई. कोर्ट में पत्नी (छात्रा) ने ये भी साबित किया कि एक बार शादी से मना करने पर प्रोफेसर ने जहर खा कर खुद को मारने की कोशिश की. 


छात्रा ने इस तरह के दबाव और मानसिक परेशानी से तंग आकर प्रोफेसर से शादी की. छात्रा ने कोर्ट में ये भी कहा कि धोखे से साइन कराए गए कागजात में ये भी लिखा था कि मेरे माता माता-पिता इस शादी पर किसी भी तरह की आपत्ति नहीं जता सकते.  


हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 में पांच शर्ते हैं. इनमें से एक शर्त के मुताबिक महिला या पुरुष की शादी के समय किसी भी पक्ष का विवाह के समय जीवित पति या पत्नी नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो इस द्विविवाह को गैर-संज्ञेय यानी नॉन कॉग्नीजेबल अपराध माना जाएगा. जिसमें 7 साल की कैद, या जुर्माना हो सकता है. इस केस में भी ये अधिनियम लागू होता है. बता दें प्रोफेसर की पहली पत्नी जिंदा है जिससे उसके दो बच्चे भी हैं. 


गुजरात हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि शिक्षक का अपने से कम उम्र की छात्रा से शादी करने को मजबूर करना एक अपराध है. न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति संदीप एन भट्ट की खंडपीठ ने पारिवारिक अदालत के तलाक के फैसले को बरकरार रखा. 


बेंच ने 25 जनवरी को सुनाए गए अपने आदेश में कहा, 'एक छात्र को एक शिक्षक से शादी करने के लिए मजबूर किया गया, जिसमें उम्र और इमोशन का भी कोई मेल नहीं था.  शादी के बाद वर्तमान मामले में पत्नी (छात्र) के साथ किया गया व्यवहार यह साबित करता है कि उसके साथ क्रूरता की गई थी.  बेंच ने ये कहा कि, ''पत्नी (छात्रा) को बार-बार कॉल और मैसेज भेजना एक तरह का उत्पीड़न है और ये उत्पीड़न और ज्यादा माना जाएगा क्योंकि प्रोफेसर ने छात्रा को लुभावने मैसेज भेजे हैं.