मनी लॉन्ड्रिंग और यूएपीए के तहत कई मामलों में आरोपी और घोषित भगोड़ा जाकिर नाइक एक बार फिर चर्चाओं में है. उसने मंदिर और चर्च को लेकर कहा है कि इनके लिए काम नहीं करना चाहिए. मंदिर या चर्च बनाने के लिए काम करना पाप करने के जैसा है. हुदा टीवी पर उसका यह वीडिया प्रसारित हुआ है.


साल 2016 से जाकिर नाइक फरार है और इस वक्त मलेशिया में रह रहा है. वह खुद को इस्लामिक स्कॉलर बताता है. वैसे तो आधिकारिक तौर उसकी ऐसा कोई सोर्स नहीं है, जिससे उसकी कमाई होती हो. हालांकि, प्रवर्तन निदेशायल ने 193.06 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में उसका नाम दर्ज किया है.


193 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम
2019 में ईडी ने उसके खिलाफ चार्जशीट जारी की थी. इसमें उस पर आरोप लगाया गया कि जाकिर नाइक ने भारत के एक बैंक में 49 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. इसके अलावा, ईडी उसकी 50.46 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त कर चुकी है.


ईडी ने टेरर फंडिंग से जुड़े मामले में जाकिर नाइक के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. ईडी का दावा था कि 12 टेरर फंडिंग मामलों में 212 करोड़ की पहचान की गई. इस फंड से 52 प्रॉपर्टी खरीदी गई थीं. जब्त की गई जाकिर नाइक की 50.46 करोड़ की संपत्ति में म्यूचुअल फंड्स, चेन्नई में इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल, 10 फ्लैट, तीन गोडाउन, दो बिल्डिंग और पुणे और मुंबई की जमीनें शामिल हैं. 


यूएई से जाकिर नाइक ने भेजे 49.20 करोड़ रुपये
जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) को भी करोड़ों रुपये का फंड मिला. ईडी ने बताया कि आईआरएफ को साल 2003-04 और 2016 से 2017 के बीच विभिन्न संदिग्ध और अज्ञात सोर्स से 64 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. इस फंड का इस्तेमाल ज्यादातर शांति सम्मेलन में किया गया. इसके अलावा, 2012 से 2016 के बीच भारत में जाकिर नाइक के बैंक अकाउंट में 49.20 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए. यह अमाउंट संयुक्त अराब अमीरात में उसके बैंक अकाउंट से भेजे गए थे. एजेंसी ने बताया कि इस इस पैसे से नाइक ने मुंबई और पुण में प्रॉपर्टी खरीदी. उसने अपने रिश्तेदारों के नाम पर यह राशि इकट्ठा की थी. इसके अलावा, उसके नाम पर बेहिसाब संदिग्ध कैश ट्रांजेक्शन भी शामिल है.


अपने भाषणों से युवाओं को भड़काता है जाकिर नाइक?
जाकिर नाइक वैसे तो खुद को पीस लीडर, इस्लामिक धर्मगुरु और उपदेशक बताता है. हालांकि, उसके भाषणों से शांति नहीं बल्कि हिंसा बढ़ती है. साल 2016 में ईडी और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी, NIA ने उसे वांटेड घोषित कर दिया था, जिसके बाद वह मलेशिया भाग गया. जाकिर नाइक ने साल 1990 में  इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन शुरू किया था, जिसे लेकर आरोप हैं कि वह इसके जरिए फंडिंग इकट्ठा करके कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है. साल 2016 में उसके फाउंडेशन पर यूएपीए के तहत बैन लगा दिया गया. उसने पीस टीवी नाम से एक चैनल भी शुरू किया, जिसका प्रसारण दुबई से होता था. इस पर वह ऐसे भाषण देता था, जिससे युवा भड़ककर कट्टरपंथ के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होते थे. यह चैनल भारत और बांग्लादेश समेत कई देशों में प्रतिबंधित है.


कैसे चर्चा में आया जाकिर नाइक?
जुलाई, 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बम ब्लास्ट हुआ था. इस हमले के आरोपियों में से एक ने बताया कि वो जाकिर नाइक की वीडियो से प्रभावित था. इसके कुछ महीनों के बाद जाकिर नाइक देश से भाग गया. इसके अलावा, अप्रैल, 2019 में श्रीलंका में ईस्टर संडे पर हुए बम धमाकों के भी तार जाकिर नाइक से जुड़े हैं. हमले की जिम्मेदारी लेने वाले नेशनल तौहीथ जमाथ के मुखिया जेहरान हाशिम ने जाकिर नाइक की तारीफ की थी. उसने श्रीलंकाई मुसलमानों से पूछा कि वो उसके लिए क्या कर सकते हैं.


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