भीड़भाड़ वाली जिंदगी से एकदम अलग धरती का स्वर्ग माना जाने वाला मॉरीशस एक मनमोहक टापू है, जिसकी धरती पर कदम रखते ही वहां चारों ओर बिखरी हरियाली और समुद्र की लहरें आपको अभिभूत कर देगी. मॉरीशस के बारे में कहा जाता है कि इस देश में एक मिनी भारत बसता है.


इस देश में आज के दिन यानी 2 नवंबर को भारतीय आगमन दिवस भी मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है? क्या आप जानते हैं कि यहां कुल आबादी का 52% आबादी हिंदू है? 




दरअसल मॉरीशस में आज के दिन भारतीय आगमन दिवस मनाया जाता है क्योंकि आज से करीब 188 साल पहले 2 नवंबर 1834 को भारत आजाद होने से पहले एटलस नाम का जहाज भारतीय मजदूरों को लेकर मॉरीशस पहुंचा था. इस दिन भारत से बड़ी संख्या में लोगों को मॉरीशस मजदूरी कराने लाया गया है. इन लोगों ने ज्यादातर लोग यूपी और बिहार के थे.


यही कारण है कि आज भी इस देश में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं और यहां भारत के यूपी और बिहार राज्य की तरह भोजपुरी बोली जाती है. इसके अलावा मॉरीशस में आपको बहुत ही आसानी से ऐसे लोग मिल जाएंगे जो भारतीय परिधान पहनते है. और यही कारण है कि यह परदेस होकर भी वहां जाने वाले लोगों को मिनी भारत होने का आभास देता है.


इस देश को कहा जाता है मिनी भारत


इस देश को मिनी भारत इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि आज मॉरीशस जैसा भी है उसका बड़ा श्रेय 1834 में यहां लाए जाने वाले भारतीय मजदूरों को दिया जाता है. इन लोगों ने अपनी मेहनत से ना सिर्फ मॉरीशस को बसाया है बल्कि इसे एक नई पहचान भी दिलाई. एटलस  जहाज से आने वाले मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाता है. उस वक्त अंग्रेजों ने इन मजदूरों से बड़े बड़े वादे किए थे ताकि वह अपना देश छोड़ यहां आने को राजी हो जाएं. हालांकि भारतीयों मजदूरों को यहां लाने का उनका मकसद था मॉरीशस को कृषि प्रधान देश बनाना. 


मॉरिशस आने वाले भारतीयों में सिर्फ मजदूर वर्ग ही नहीं बल्कि भारतीय हिंदू और मुस्लिम दोनों व्यापारियों का छोटा लेकिन समृद्ध समुदाय भी था. यहां आने वाले ज्यादातर व्यापारी गुजराती थे. इस देश के कानून में 19वी शताब्दी में कुछ बदलाव किए गए जिसके तहत मजदूरों के वंशज वहां का जमीन खरीद घर बसा सकेंगे. इस नियम के आने के साथ ही वहां रह रहे प्रवासी मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. वर्तमान में इस देश की कुल आबादी में करीब 52% हिंदू हैं.


कबड्डी टीम में अधिकांश भारतीय


मॉरीशस की महिला कबड्डी टीम सितंबर 2016 में ट्रेनिंग लेने भारत आई थी. उस वक्त मॉरीशस कबड्डी टीम के कोच हरीश कुमार ने बताया था कि ट्रेनिंग लेने आए 14 में से 10 खिलाड़ी भारतीय मूल के हैं और उनमें से 8 बिहार के हैं. हालांकि टीम में मौजूद किसी भी खिलाड़ी को इस बात के बारे में जानकारी नहीं थी कि उनके पूर्वज बिहार के किस हिस्से से मॉरीशस पहुंचे थे.


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