Covaxin EUL In WHO: भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को अभी तक डब्ल्यूएचओ से इमरजेंसी यूज लिस्टिंग (EUL) की मंजूरी नहीं मिली है. इसे लेकर कई बार डब्ल्यूएचओ की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की बैठक हुई है और हर बार कंपनी से नया डेटा- वैक्सीन के एफिकेसी, इममुनोजेन्सिटी और रिस्क असेसमेंट डेटा मांगा गया, जो दिया जा चुका है. 26 अक्टूबर को हुई बैठक में भारत बायोटेक जो कोवैक्सीन बनाती है, उससे फाइनल रिस्क बेनिफिट फॉर ग्लोबल यूज मांगा गया है, जिसे देने पर 3 नवंबर के बाद उस पर कोई फैसला लिया जा सकेगा. 


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने 27 अक्टूबर को ट्वीट कर जानकारी दी थी कि कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक से फाइनल रिस्क बेनिफिट फॉर ग्लोबल यूज का असेसमेंट डेटा मांगा गया है, जिस पर 3 नवंबर की बैठक में विचार होगा.






वहीं, डब्ल्यूएचओ से  20 अक्टूबर को कोवैक्सीन की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग पर सवाल किया गया, जिसके जवाब में डब्ल्यूएचओ हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइक रयान ने कहा, "किसी भी वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ इमरजेंसी यूज लिस्टिंग दे, तो सभी चीजों को जांच ले, फिर चाहे वो वैक्सीन के एफिकेसी हो या उसके बनाने की प्रक्रिया, क्योंकि दुनिया उसको इस्तेमाल करेगी और ये पूरी प्रक्रिया होती है." 


डॉ. माइक रयान ने कहा, "डब्ल्यूएचओ बहुत स्पष्ट है. हम चाहते हैं कि सभी देश उन वैक्सीन को पहचाने जिन्हें डब्ल्यूएचओ सलाहार प्रक्रिया द्वारा ईयूएल दिया गया है. यह वास्तव में अहम है कि हम सभी आवश्यक जानकारी न केवल स्वयं वैक्सीन पर बल्कि निर्माण प्रक्रिया और उन सभी पर एकत्र करें, क्योंकि हम दुनिया को इसकी सिफारिश कर रहे हैं कि यह टीका सुरक्षित और प्रभावी होने के साथ उच्चतम गुणवत्ता और मानकों का उपयोग करके उत्पादित किया गया है."






बता दें कि कोवैक्‍सीन को काफी समय से डब्‍ल्यूएचओ के इमर्जेंसी अप्रूवल का इंतजार है. इसके लिए भारत बायोटेक ने अप्रैल माह में ही एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट दाखिल की थी. EUL का अप्रूवल मिलने पर भारत में जिन लोगों ने कोवैक्‍सीन लगवाई है, उनके लिए अंतरराष्‍ट्रीय यात्रा करने के लिए बंदिशें भी नरम हो जाएंगी. साथ ही कोवैक्‍सीन के निर्यात का रास्‍ता भी खुल जाएगा. 


26 अक्टूबर की बैठक से पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी उम्मीद थी की इस बैठक में भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है. खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इसका जिक्र किया था. उन्होंने कहा, " डब्ल्यूएचओ की अपनी एक प्रक्रिया है. पहले टेक्निकल कमेटी देखती है, उसके बाद दूसरी कमेटी देखती है. टेक्निकल कमिटी ने पॉजिटिव साइन दिया है, दूसरी सब कमेटी आज बैठक कर रही है. आज डब्ल्यूएचओ की बैठक है और उम्मीद है कि कोवैक्सीन को जल्दी EUL मिल जाएगा."


कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने अब तक जितनी बार जो डेटा मांगा गया है, वो समय-समय पर डब्ल्यूएचओ को दिया है. एबीपी न्यूज से खास बातचीत में भारत बायोटेक के डॉ. कृष्णा एला ने बताया था कि कंपनी ने डब्ल्यूएचओ को हर डेटा जो मांगा जा रहा है, वो दिया है. 


'वैक्सीन की डिटेल एनालिसिस  सही'


वहीं, जानकरों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ की अपनी एक प्रक्रिया है. कोवैक्सीन का दिल्ली के एम्स में क्लीनिकल ट्रायल कर चुके कम्युनिटी मेडिसिन के डॉक्टर और इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन के डॉ. संजय राय के मुताबिक, वैक्सीन की मंजूरी से पहले जितनी उसकी डिटेल एनालिसिस होगी उतना अच्छा होता है और इसे सही वैक्सीन लोगों तक पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि ये साइंस का मामला है, इसमें सरकार का रोल नहीं होना चाहिए, साइंस अपनी प्रक्रिया को करते हुए ही ये काम करेगा.


अब तक डब्ल्यूएचओ ने छह वैक्‍सीनों को ईयूएल दिया है. फाइजर-बायोएनटेक, एस्ट्राजेनेका-एसके बायो-सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, एस्ट्राजेनेका ईयू, जानसेन, मॉडर्ना और सिनोफार्म की वैक्‍सीन शामिल हैं. उम्मीद है कि नवंबर में होने वाली बैठक में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की इमरजेंसी यूज लिस्टिंग में जगह मिल जाएगी. इस वैक्सीन का भारत में क्लीनिकल ट्रायल हुआ और इसी साल 3 जनवरी को इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिल चुकी है.  


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