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‘बिजली गिरना’ क्या होता है, कैसे बच सकते हैं इससे, जानें

इस साल बिजली गिरने की कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें जानमाल का काफी नुकसान हुुआ है. बिहार और उत्तर प्रदेश में 2 जुलाई, गुरुवार को 100 से ज़्यादा लोगों की कड़कती बिजली गिरने से मौत हो गई.

नई दिल्ली: 2020 में मानों देश के नागरिकों की समस्याएं घटने के बजाए दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. जहां एक ओर कोरोना महामारी खत्म होने का नाम नही ले रही है तो वहीं दूसरी ओर बिहार और उत्तर प्रदेश में 2 जुलाई, गुरुवार को 100 से ज़्यादा लोगों की कड़कती बिजली गिरने से मौत हो गई. आखिर यह थंडर स्टॉर्म क्या होता हैं और यह क्यों आता हैं. भारत मे आने वाले दिनों में स्थिति कैसी रहेगी?

एबीपी न्यूज ने मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ जनामणी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज के प्रोफेसर ऑफ फिजिक्स डॉ. अशोक कुमार से बात की और इससे जुड़े सवाल पूछे.

बिजली शहरों की बजाय गांव में ज्यादा क्यों गिरती है? किन जगहों पर बिजली गिरने का खतरा ज्यादा होता है?

डॉ. जनामणी शहरों में बड़े-बड़े घर, पार्क और पेड़ हैं तो लोगों को रुकने की जगह मिल जाती है. अगर आप बंद घर मे रहेंगे तो आप बचे रहेंगे. भारी चार्ज लोगों तक पहुंच नहीं पाता, सीधा ग्राउंड में चला जाता है. गांवों में फसलों की बुआई करने वाले लोग खुले खेतों में काम करते हैं, मीलों तक कोई पेड़ भी नही होता तो इसीलिए बिजली लगने का ज़्यादा खतरा होता है.

डॉ. अशोक कुमार सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बिजली, यानी कि थंडर आखिर होता क्या है? जब पानी से भरे बादल हवा में उड़ते हैं तो उनमें चार्ज जमा होता रहता है. चार्ज के जमा होने के कारण उसमें विभव यानी कि पोटेंशियल (potential) बढ़ता रहता है. पोटेंशियल बढ़ते बढ़ते इतना बढ़ जाता है कि वो लाखों वाल्ट में पहुंच जाता है और धरती का जो पोटेंशियल होता है वो शून्य होता है तो इस प्रकार दोनों के बीच पोटेंशियल का डिफरेंस बहुत ही अधिक हो जाता है. इस कारण से ऊंचे वोल्टेज से नीचे की ओर बिजली की धारा प्रवाहित होने लगती है. हालांकि इस बीच में कोई कंडक्टर नही होता है लेकिन पोटेंशियल डिफरेंस की वजह से बिजली गिरती है यानी की ठण्डरस्टोर्म होते हैं.

अब रही बात की शहरों के मुकाबले गांवों में बिजली ज़्यादा क्यों कड़कती है तो इसका मुख्य कारण यह है कि बिजली चाहती है कि रास्ते मे हमें कोई चालक मिले, शहरों में ऊंची ऊंची इमारते होती हैं और अधिकांश बिल्डिंगों और टावर्स में अर्थ कंडक्टर लगे होते हैं जो ज़मीन में जुड़े रहते हैं जिससे गिरने वाली बिजली उन चालको के द्वारा ज़मीन में चली जाती है और मकान को या जान माल को हानि नही पहुंचती है. गांव मे ऐसे ऊंचे टावर नही होते हैं इसीलिए बिजली गिरने का प्रभाव वहां साफ तौर से नज़र आता है.

2- क्या गावों में बढ़ते मोबाइल कनेक्शन और इंटरनेट कनेक्टिविटी भी इसकी वजह है?

 डॉ. जनामणी जैसे ही काले बादल और बिजली आसमान में दिखाई दे तो मोबाइल का इस्तेमाल खुली ज़मीन में नही करना चाहिए. लेकिन टावर और पोल की वजह से ज़्यादा बिजली नही गिरती बल्कि बिजली रुकती है. मोबाइल के टावर पर लगकर सीधा ज़मीन में सारा चार्ज चला जाता है. इसीलिए किसी भी इंसान को पेड़ या टावर के नीचे शरण नही लेनी चाहिए, बल्कि ज़मीन पर फ्लैट लेट जाना चाहिये, या घर के अंदर चले जाना चाहिए.

डॉ. अशोक कुमार बिजली गिरने का कनेक्शन मोबाइल कनेक्शन या इंटरनेट कनेक्टिविटी से बिल्कुल भी नही है.  यह ज़रूर है कि यदि गांव में कोई टावर है तो उसके नज़दीक नही खड़े होना है क्योंकि बिजली वहां से करीब होगी तो यदि कोई व्यक्ति पास में खड़ा है या उसे छूता है तो उसे खतरा हो सकता है.

3-दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में बिजली क्यों नहीं गिरती?

डॉ. जनामणी बिजली गिरने की घटना दिल्ली में कम होती है. बिजली गिरने की सबसे ज़्यादा घटनाएं इंटीरियर मुंबई में होती है. बिहार के अलावा ओडिसा, छतीसगढ़ और झारखंड भी खतरे के जोन में आते हैं. वैसे तो जून के महीने में कम बिजली गिरती है लेकिन ज़्यादा लोग मरते हैं क्योंकि खेती बाड़ी करने का समय है, जबकि मई के महीने में बिजली ज़्यादा गिरती है लेकिन ज़्यादा गर्मी होने के कारण और बुआई का समय न होने के कारण लोग ज़्यादातर घरों में ही होते हैं और इसकी चपेट में कम आते हैं.

डॉ. अशोक कुमार बिजली बनने और गिरने की संभावना गांव और शहरों में बराबर होती है. जहां पर भी बारिश होगी या बादल बनेंगे तो बिजली कड़केगी और संभावना ज़रूर रहती है. लेकिन शहरों में हाई राइज बिल्डिंग होती हैं, हाइवेज और फ्लाईओवर होते हैं और सभी जगह कंडक्टर लगे होते हैं जिसके कारण अगर उस पे बिजली गिरती भी है तो वह उस कंडक्टर के द्वारा ज़मीन में चली जाती है जिससे फिर नुकसान नही होता है. जान माल के साथ-साथ तमाम उपकरण जैसे कि टीवी, फ्रिज, इत्यादि भी सुरक्षित रहते हैं क्योंकि इनमें ज़्यादा हाई वोल्टेज नही जा पाता. गांव में ऐसी ऊंची बिल्डिंग्स होती नहीं हैं तो जिसके कारण बिजली के तारों में हाई वोल्टेज आता है, घर के तारो में भी हाई वोल्टेज आता है जिससे उपकरण भी खराब हो जाते हैं, और काम कर रहे किसान और मज़दूर भी इसके शिकार हो जाते हैं.

4- बिजली गिरने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?

डॉ जनामणी IMD द्वारा जो चेतावनी दी जा रही है उसे लेकर जागकरुकता और सामुदायिक तैयारी होनी  चाहिए कि लोग इसको नज़रअंदाज़ न करे. बिजली गिरने की प्रिडिक्शन एक या दो घंटे पहले ही बताई जा सकती है. IMD की तरफ से भी मोबाइल पर एसएमएस के जरिए चेतावनी दी जाती है पर कई बार लोग फोन नही देख पाते तो ऐसे में सायरन बजें ऐसी कोई व्यवस्था होनी ज़रूरी है. इस साल बिजली गिरने की घटनाओं और उससे होने वाले विनाश का रिकॉर्ड टूटा है.

डॉ. अशोक कुमार सबसे पहले यह समझना जरूरी है की बिजली कब गिरेगी. उसका पूर्वानुमान नही किया जा सकता है. इससे बचने के लिए बस किसी ऊंचे या गीले पेड़ के नज़दीक खड़े न हों, खुले में खेतों में न जाएं, क्योंकि मज़दूर और किसान जो खेत मे काम करते हैं ज़मीन गीली होने के कारण उनके पांव भी गीले हो जाते हैं, इंडक्शन बाद में जाता है, बिजली के लिए इंसान भी फिर सुविधा का चालक बन जाता है. ऐसी स्थिति में किसी पक्के मकान के अंदर शरण लें. छतरी का प्रयोग बरसात से बचने के लिए तो करें लेकिन कड़कती बिजली में छतरी का इस्तेमाल न करें, क्यों कि उसमें भी कंडक्टर होते हैं और उससे भी खतरा हो सकता है.

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