नयी दिल्ली: चार राज्यों और केंद्र शासित पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनावों के मद्देनजर रविवार को जारी मतगणन के अब तक आए रुझानों से लगभग साफ है कि पश्चिम बंगाल, असम और केरल में सत्तारूढ़ दल फिर से सरकार बनाने की ओर अग्रसर हैं जबकि तमिलनाडु और पुडुचेरी में विपक्षी दलों के गठबंधन के सत्ता में आने की संभावना है. इन चुनावी राज्यों में सबकी नजरें पश्चिम बंगाल पर टिकी थी और वहां ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस सत्ता की हैट्रिक लगाती दिख रही हैं.


निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से यही संकेत मिलता है कि असम में बीजेपी की और केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) की सत्ता में वापसी लगभग तय है. तमिलनाडु में विपक्षी द्रमुक की अगुवाई वाला गठबंधन अन्नाद्रमुक को सत्ता से बेदखल करता दिखाई दे रहा है. केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में एआईएनआरसी नीत राजग जीत की तरफ बढ़ रहा है.


इन चार प्रदेशों और एक केंद्रशासित प्रदेश के विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल के चुनाव की रही. वहां पर तृणमूल कांग्रेस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में आक्रामक चुनाव प्रचार किया तो बीजेपी ने वहां पहली बार सत्ता में आने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के कई दूसरे बड़े चेहरों ने पश्चिम बंगाल में धुआंधार चुनाव प्रचार किया. वहीं कई दशकों तक पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज रहे वाम दलों और कांग्रेस का इस चुनाव में सफाया हो गया.


पश्चिम बंगाल विधानसभा की 292 सीटों के लिए जारी मतगणना में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त के साथ राज्य में सत्ता पर फिर से काबिज होती दिख रही है, जबकि बीजेपी करीब 80 सीटों पर आगे है. पिछले विधानसभा चुनाव में महज तीन सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन वह अपने अभियान में सफल नहीं हो सकी.


तीसरी बार सरकार


कड़ा मुकाबला होने के अनुमानों को धता बताते हुए तृणमूल कांग्रेस तेजी से प्रचंड जीत की ओर बढ़ती दिख रही है और अगर मौजूदा रुझान परिणामों में तब्दील होते हैं तो पार्टी बेहद आसानी से लगातार तीसरी बार राज्य में सरकार बनाएगी. कालीघाट में बनर्जी के निवास के बाहर समेत विभिन्न स्थानों पर तृणमूल कार्यकर्ता हरे गुलाल के साथ जीत का जश्न मनाते हुए नजर आए.


अब तक जितने मतों की गणना हो गई है, उसके अनुसार तृणमूल कांग्रेस को 48.3 फीसदी और बीजेपी को 38.7 फीसदी वोट मिले हैं. वामदल-कांग्रेस-आईएसएफ गठबंधन बस दो सीटों पर आगे हैं. बीजेपी के लोकसभा के दो सदस्य बाबुल सुप्रियो और लॉकेट चटर्जी क्रमश: टॉलीगंज और चुंचुरा सीट से पीछे चल रहे हैं. सुप्रियो लोकसभा में आसनसोल और चटर्जी हुगली सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं. हालांकि, कूच बिहार से बीजेपी सांसद निशिथ प्रमाणिक दिनहाटा में आगे चल रहे हैं.


वहीं भवानीपुर से तृणमूल प्रत्याशी सोहनदेब चट्टोपाध्याय अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के रुद्रनील घोष से 3,000 से अधिक मतों से आगे चल रहे हैं. यह सीट ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के लिए छोड़ दी थी. राज्य के मंत्री और बनर्जी के विश्वासपात्र फरहाद हकीम भी अपनी सीट से आगे चल रहे हैं. ऐसा जान पड़ता है कि तृणमूल ने मुर्शिदाबाद और माल्दा जिलों में जबर्दस्त पैठ बनाई है, जो पारंपरिक रूप कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाले इलाके समझे जाते रहे हैं. ऐसा भी लगता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम मेदिनीपुर में तृणमूल ने बीजेपी के हाथों गंवाया गया कुछ जनाधार हासिल किया है.


तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि रुझान संकेत करते हैं कि राज्य के लोगों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बार-बार किए गए ‘हमले’ का मुंहतोड़ जवाब दिया है. बीजेपी का उपहास करते हुए चटर्जी ने कहा कि वह उन लोगों का चेहरा देखना चाहते हैं, जो ‘इस बार 200 पार’ का नारा लगाते थे. बीजेपी महासचिव और पश्चिम बंगाल मामलों के पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि रुझानों के मुताबिक ऐसा लगता है कि लोगों ने ममता बनर्जी को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया है.


असम में बीजेपी आगे


वहीं असम में बीजेपी की अगुवाई वाली राजग एक बार फिर से सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रहा है. राजग 126 सीटों में से 75 पर बढ़त बनाए हुए है. इनमें से बीजेपी के उम्मीदवार 56 सीटों पर आगे हैं. कांग्रेस की अगुवाई वाला ‘महाजोत’ असम में सिर्फ 46 सीटों पर बढ़त बना सका हैं. इनमें से कांग्रेस 29 सीटों पर आगे है.


चुनाव नतीजों से खुश असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाला ने कहा, 'हम निश्चित रूप ये यह कह सकते हैं कि भाजपा सरकार बनाएगी. हम अपने साथियों असम गण परिषद और यूपीपीएल के साथ एक बार फिर से सत्ता में आ रहे हैं.'


केरल में वापसी


केरल में पिछले चार दशकों यह परिपाटी टूटती नजर आ रही है कि हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होगा. इस बार माकपा की अगुवाई वाला एलडीएफ फिर से सरकार जीत हासिल करता नजर आ रहा है. यह गठबंधन के दो प्रमुख घटक माकपा और भाकपा कुल 73 सीटों पर आगे हैं. राज्य में कुज 140 विधानसभा सीटें हैं.


माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, 'मैं केरल के लोगों को अप्रत्याशित तरीके से भरोसा जताने के लिए आभार व्यक्त करता हूं. एलडीएफ की सरकार ने लोगों की चुनौतियों का समाधान निकाला और कोरोना महामारी को भी नियंत्रित किया. महामारी को नियंत्रित कर केरल ने दुनिया के सामने एक नजीर पेश की है.' दक्षिण भारत में भाजपा के लिए अच्छी खबर यह है कि वह केरल में एक और तमिलनाडु में तीन विधानसभा सीटों पर आगे है. अब तक इन दोनों राज्यों में भाजपा अपनी पकड़ बनाने के लिए संघर्ष करती रही है.


तमिलनाडु में सत्ता परिवर्तन


तमिलनाडु में एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद अन्नाद्रमुक हार की तरफ बढ़ती नजर आ रही है. वह 234 सदस्यीय विधानसभा की सिर्फ 80 सीटों पर आगे है. प्रदेश में विपक्षी द्रमुक की अगुवाई वाला गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रहा है. द्रविड़ मुनेत्र कषगम 121 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस 16 सीटों पर आगे है.


राज्य में यह पहला चुनाव है जिसमें द्रमुक एम करुणानिधि और अन्नाद्रमुक जयललिता की गैरमौजूदगी में चुनाव लड़ रही हैं. दोनों नेताओं का कुछ साल पहले निधन हो गया. चुनाव आयोग ने विजय जुलूस निकालने और भीड़ जमाकर जश्न बनाने पर रोक लगाई है, लेकिन कई स्थानों पर कुछ पार्टियों के कार्यकर्ता जीत का जश्न मनाते देखे गए.


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