WHO Report On Corona Deaths In India: देश में महामारी को लेकर पिछले तीन दिनों से गुजरात के केवडिया में स्वास्थ्य चिंतन शिविर चल रहा था. शनिवार को इस चिंतन शिविर का आखिरी दिन था. चिंतन शिविर के समापन के पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, "3 दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर के दौरान, हमने एक प्रस्ताव पारित किया कि हम डब्ल्यूएचओ के कोविड की मृत्यु के अनुमानों पर विश्वास नहीं करते हैं. हम साल 1969 से कानूनी रूप से जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कर रहे हैं."


स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा, ''बीते 2 सालों के दौरान हमने कोविड महामारी से कई सबक सीखे हैं. इस स्वास्थ्य चिंतन शिविर में हमने इस बात का चिंतन किया कि भविष्य में ऐसी कोई महामारी आए तो उसका सामना कैसे करें? उसके लिए लंबी अवधि का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर राज्यों में बनाएं और इस इंफ्रास्ट्रक्चर से हम स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करें.''


केंद्र सरकार ने WHO की रिपोर्ट खारिज की
इसके पहले शुक्रवार को भारत सरकार ने कोरोना से भारत में मौत को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को एक सिरे से खारिज कर दिया था. डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में भारत के अंदर कोविड-19 महामारी के चलते करीब 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया था. डब्ल्यूएचओ की तरफ से गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह कहा गया कि जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2021 के बीच करीब 47 लाख लोगों की मौत हो गई, जबकि आधिकारिक तौर पर दिए गए आंकड़े से करीब 10 गुना ज्यादा है.


इस वजह से उठ रहे हैं WHO के आंकड़ों पर सवाल
देश के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना या इसके प्रभाव की वजह से भारत में 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाने के लिए प्रयुक्त ‘मॉडलिंग’ पद्धति पर सवाल खड़े किए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण से निराश हैं जो ‘सबके लिए एक ही नीति अपनाने’ के समान है.


रणदीप गुलेरिया सहित कई विशेषज्ञों ने WHO की रिपोर्ट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया सहित कई विशेषज्ञों ने रिपोर्ट को अस्वीकार्य और दुर्भाग्यपूर्ण बताया. वीके पॉल ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि भारत वैश्विक निकाय को पूरी विनम्रता से और राजनयिक चैनलों के जरिए, आंकड़ों और तर्कसंगत दलीलों के साथ स्पष्ट रूप से कहता रहा है कि वह अपने देश के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली से सहमत नहीं है.


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