यूपी के एमएलसी चुनाव में समाजवादी पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई. कुल 27 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें बीजेपी ने 24 सीटें जीत लीं. एमएलसी के चुनाव में बीजेपी वाराणसी में अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पाई. वाराणसी और आज़मगढ़ में निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाज़ी मार ली. इन दोनों सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार पार्टी के कारण हार गए. 


हारने वाले उम्मीदवारों का आरोप है कि पार्टी के लोकल नेताओं ने धोखा दिया और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए काम किया. जबकि प्रतापगढ़ में बाहुबली विधायक राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल जीतने में कामयाब रही. नौ सीटों पर बीजेपी निर्विरोध चुनाव जीत गई.


यूपी में एमएलसी के चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी है. उन्होंने इस जीत के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व, राष्ट्रवाद और सुशासन को क्रेडिट दिया. 


लेकिन बीजेपी वाराणसी, प्रतापगढ़ और आज़मगढ़ की सीट नहीं बचा पाई. वाराणसी का मामला तो बड़ा दिलचस्प है. जहां से बीजेपी के उम्मीदवार सुदामा पटेल तो शुरुआत से कहते रहे कि पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता उनकी मदद नहीं कर रहे हैं. 


उनकी बात आख़िरकार सच साबित हुई. पूर्वांचल के बाहुबली नेता ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह के चुनाव मैदान में उतरते ही ऐसा लगने लगा था कि बीजेपी रेस से बाहर है. ऐसा ही हुआ. चुनाव में बीजेपी तीसरे नंबर पर रही. पार्टी को सिर्फ़ 170 वोट मिले. 


समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर रही और उसे 345 वोट मिले. निर्दलीय उममीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहीं अन्नपूर्णा को 4234 वोट मिले. बीजेपी अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पाई. चुनाव जीतने के बाद अन्नपूर्णा ने अपनी जीत को पीएम मोदी और सीएम योगी की जीत बताया


आज़मगढ़ का मामला तो वाराणसी से भी अधिक रोचक है. यहां तो बीजेपी के खिलाफ बीजेपी के ही एमएलसी यशवंत सिंह ने बगावत कर दी. उन्होंने पार्टी के उम्मीदवार अरुण कांत यादव के खिलाफ अपने बेटे विक्रांत सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़वा दिया.


 उनके इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए निलंबित कर दिया. लेकिन यशवंत अपने फ़ैसले पर अड़े रहे. बीजेपी के नेताओं ने उनका खुल कर साथ दिया. वे सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं. चुनाव हारने के बाद अरुण कांत ने कहा कि उन्हें तो राजनीति से संन्यास लेने का मन कर रहा है. पार्टी के लोकल नेताओं ने खुल कर उन्हें धोखा दिया. अरुण कांत इससे पहले विधायक थे लेकिन इस बार का चुनाव वे हार गए. उनके पिता रमाकांत यादव समाजवादी पार्टी के विधायक हैं.


इसी तरह प्रतापगढ़ में भी बीजेपी राजा  भैया के प्रताप और बाहुबल के आगे नहीं टिक पाई.  राजा के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह उर्फ़ गोपाल जी निर्दलीय ही चुनाव जीत गए. वे जनसत्ता दल के उम्मीदवार थे. वे पांचवीं बार विधान परिषद के सदस्य बने हैं. बीजेपी यहां दूसरे नंबर पर रही.


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