नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के अमल पर फिलहाल रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है. कोर्ट ने इस कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा है. 9 अप्रैल को मामले पर अगली सुनवाई होगी.


चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने CAA का विरोध और समर्थन करने वाले दोनों पक्षों से कहा कि वह 2 अप्रैल तक अपनी मुख्य दलीलों को 5-5 पन्ने के लिखित संक्षिप्त नोट के रूप में जमा करवाएं. सरकार 8 अप्रैल तक उस पर जवाब दे.


20 मिनट चली सुनवाई


आज करीब 20 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान CAA विरोधी याचिकाकर्ताओं ने बार-बार कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस कानून पर तुरंत रोक लगानी चाहिए. लेकिन सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में 237 मुख्य याचिकाएं हैं. साथ ही 20 से अधिक नए आवेदन हैं जो कानून लागू होने के बाद दाखिल हुए. ऐसे में सरकार को जवाब देने में समय लगेगा. मेहता ने कम से कम 4 सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया. हालांकि, कोर्ट ने 3 सप्ताह बाद अगली सुनवाई की बात कही.


धार्मिक आधार पर उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भाग कर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को भारतीय नागरिकता देने के लिए बने कानून का इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी समेत कई याचिकाकर्ता विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिमों से भेदभाव करता है. मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. ऐसे में सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए था.


नागरिकता वापस लेना कठिन होगा-कपिल सिब्बल

आज इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि संसद से 2019 में पारित हुए इस कानून को अब 4 साल बाद लागू किया गया है. समस्या यह है कि एक बार किसी को नागरिकता दे दी गई, तो उसे वापस लेना कठिन होगा. इसलिए इस कानून के अमल पर तुरंत रोक लगनी चाहिए. सरकार जवाब के लिए समय चाहती है, तो कोई समस्या नहीं. फिलहाल कानून पर रोक लगा कर अप्रैल में सुनवाई कर ली जाए.


इसका जवाब देते हुए सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इस कानून को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. इससे किसी की नागरिकता नहीं जा रही. सिर्फ कुछ लोगों को मिल रही है, जो एक तय समय से पहले देश मे आ गए थे. CAA विरोधी एक याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सरकार से यह बयान देने की मांग की कि फिलहाल किसी को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं दी जाएगी. लेकिन सॉलिसीटर जनरल ने ऐसा बयान देने से मना कर दिया.


नागरिकता मिलने से याचिकाकर्ता का कुछ बिगड़ेगा नहीं- केंद्र

सॉलिसीटर जनरल ने यह भी कहा कि नागरिकता का आवेदन मिलने से लेकर उसे देने की प्रक्रिया लंबी है. एकदम से नागरिकता नहीं मिलती. 3 सप्ताह की अवधि में अगर किसी को नागरिकता मिल भी गई तो याचिकाकर्ताओं का इससे कुछ नहीं बिगड़ जाएगा. सुनवाई के दौरान बलूचिस्तान हिन्दू पंचायत के लिए पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा, "हम लंबे समय से नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अगर अब नागरिकता मिल रही है तो बाधा नहीं डालनी चाहिए.''


CAA विरोधी वकील निजाम पाशा ने दावा किया कि इस कानून से मुसलमानों की नागरिकता पर खतरा है. सॉलिसीटर जनरल ने इसका कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि यह NRC नहीं है. पहले भी लोगों को गुमराह किया गया था. एक बार फिर कोर्ट के मंच का इस्तेमाल कर लोगों को भड़काने की कोशिश की जा रही है. इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.


कोर्ट से कानून पर रोक मिलती न देख कर मुस्लिम लीग के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के अंत मे कहा, "अगर अगली सुनवाई तक किसी को नागरिकता मिलती है, तो हमें दोबारा कोर्ट आने की अनुमति दी जाए." इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह कोर्ट में आवेदन दाखिल कर सकते हैं.