Supreme Court में बतौर CJI जस्टिस ललित का पहला दिन, हिजाब विवाद से लेकर तलाक के एकतरफा अधिकार मामले पर करेंगे सुनवाई
SC Hearing on Hijab: 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने फैसला दिया था कि महिलाओं का हिजाब (Hijab) पहनना इस्लाम (Islam) का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.
SC Hearing on Hijab and Talaq E Hasan: सुप्रीम कोर्ट में आज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के तौर पर जस्टिस यूयू ललित (UU Lalit) का पहला दिन है. जस्टिस यूयू ललित ने शनिवार को भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. कर्नाटक हिजाब (Karnataka Hijab) मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने कुल 24 याचिकाएं सुनवाई के लिए लगाई गई हैं. याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें स्कूल-कॉलेजों में यूनिफॉर्म के पूरी तरह पालन का राज्य सरकार का आदेश सही ठहराया गया था.
15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka HC) ने फैसला दिया था कि महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम (Islam) का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा था कि स्कूल-कॉलेजों में यूनिफॉर्म के पूरी तरह पालन का राज्य सरकार का आदेश सही है.
कर्नाटक हिजाब मामले पर SC में सुनवाई
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा बता रहे छात्राओं की याचिका को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने के बाद कर्नाटक के उडुपी की रहने वाली 2 छात्राओं मनाल और निबा नाज ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इसके साथ ही फातिमा बुशरा, फातिमा सिफत समेत कई और छात्राओं ने भी अपील दाखिल की. इन याचिकाओं में कहा गया कि हाईकोर्ट का फैसला संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हर नागरिक को हासिल धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन करता है.
तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुस्लिम पुरुषों को तलाक का एकतरफा अधिकार देने वाले तलाक-ए-हसन (Talaq E Hasan) और दूसरे प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सुनवाई करेगा. तलाक ए हसन पीड़ित 2 महिलाओं ने अलग-अलग याचिका में इस व्यवस्था को समानता के मौलिक अधिकार का हनन बताया है. उन्होंने मांग की है कि मुस्लिम लड़कियों (Muslim Women) को तलाक के मामले में बाकी लड़कियों जैसे अधिकार मिलने चाहिए.
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