शिवसेना नेता संजय राउत ने बाबरी विध्वंस मामले पर सीबीआई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. राउत ने कहा, '28 साल बाद बाबरी मस्जिद को लेकर जो फैसला आया है उसका हम स्वागत करते हैं. मैं, मेरी पार्टी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मरोहर जोश, उमा भराती और अन्य सभी जो इसमें बरी हुए हैं उनका अभिनंदन करते हैं.'


राउत ने आगे कहा, 'अदालत ने कहा है कि ये कोई साजिश नहीं थी, ये ही निर्णय अपेक्षित था. हमें उस एपिसोड को भूल जाना चाहिए. अब अयोध्या में राम मंदिर बनने जा रहा है. अगर बाबरी का विध्वंस नहीं होता तो आज जो राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ है वो दिन हमें देखने को नहीं मिलता.'


CBI कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को गिराए गए विवादित ढांचे के मामले में सीबीआई कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है. 28 साल से चल रहे इस मुकदमे का विशेष जज एस.के. यादव ने अपने कार्यकाल का अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा कि अयोध्या विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था. घटना के प्रबल सबूत नहीं हैं. न्यायालय ने यह माना है कि सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं. कुछ अराजक तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया था.


सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एस.के. यादव ने अपने फैसले में कहा कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा पर पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ. अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं. कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था. जज ने अखबारों को सबूत नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं. कैसेट्स को सील नहीं किया गया, फोटोज की नेगेटिव नहीं पेश की गई. ऋतम्बरा और कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया गया.


फैसला करीब दो हजार पेज का है. सीबीआई और अभियुक्तों के वकीलों ने ही करीब साढ़े आठ सौ पेज की लिखित बहस दाखिल की है. इसके अलावा कोर्ट के सामने 351 गवाह सीबीआई ने परीक्षित किए और 600 से अधिक दस्तावेज पेश किए.


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