Shiv Sena MLAs Row: महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना से अलग हुए विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. नार्वेकर ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को बड़ी राहत देते हुए उनकी सदस्यता बरकरार रखी.


स्पीकर राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाते हुए कहा, ''फैसला देने के पहले 3 चीजों को समझना जरूरी है. पार्टी का संविधान क्या कहता है. नेतृत्व किसके पास था और विधान मंडल में बहुमत किसके पास था. 2018 में शिवसेना पार्टी के संविधान के तहत जो नियुक्ति की गई थी उसे भी ध्यान में रखा गया है. 2018 में पार्टी के संविधान में जो बदलाव किया गया. इस बात की जानकारी दोनों पक्षों को थी. 2018 में शिवसेना पार्टी के संविधान के तहत जो नियुक्ति की गई थी, उसे भी ध्यान में रखा गया है. प्राथमिक तौर पर चुनाव आयोग के पास जो 1999 का शिवसेना का संविधान था उसको आधार बनाना पड़ेगा.''


किन विधायकों की सदस्यता पर आया फैसला?
स्पीकर ने विधानसभा के जिन सदस्यों को लेकर यह फैसला सुनाया है. उनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, रोजगार मंत्री संदिपानराव भुमरे, स्वास्थ्य मंत्री डॉ तानाजी सावंत, अल्पसंख्यक विकास मंत्री अब्दुल सत्तार शामिल हैं.


इनके अलावा महाड के विधायक भरत गोगावले, औरंगाबाद पश्चिम के विधायक संजय शिरसाट, भायखला के यामिनी जाधव, खानापुर विधायक अनिलभाऊ बाबर, अंबरनाथ ने डॉ किनिकर बालाजी प्रल्हाद, मागाठाणे प्रकाश सुर्वे, कोरेगांव महेश शिंदे, चोपडा विधायक लता सोनवणे, एरंडोल विधायक चिमणराव रूपचंद पाटिल, वैजापुर के  रमेश बोरनारे, मेहकर के डॉ. संजय रायमुलकर और नांदेड उत्तर के विधायक बालाजी कल्याणकर शामिल हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को दिया था फैसला करने का निर्देश
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में इन याचिकाओं पर निर्णय नहीं लेने के लिए नार्वेकर की खिंचाई करते हुए कहा था कि वह इस तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. इसके बाद अदालत ने उन्हें दी गई 31 दिसंबर की समय सीमा को 10 जनवरी तक बढ़ा दिया था.


इससे पहले मंगलवार को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने नार्वेकर और मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे के बीच रविवार को हुई बैठक पर आपत्ति जताई थी.


इस पर नार्वेकर ने कहा कि ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं का निपटारा करते समय अन्य काम नहीं करना चाहिए. अगर मुझे विधायक या अध्यक्ष के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए मुख्यमंत्री से संपर्क करना होगा तो मुझे किसी की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है.


क्या है मामला?
21 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और शिवसेना विधायकों के एक ग्रुप ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. इसके कुछ घंटों बाद इन विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खेमे ने एक प्रस्ताव पारित कर शिंदे को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया और उनकी जगह अजय चौधरी को पद पर नियुक्त कर दिया, जबकि सुनील प्रभु को चीफ व्हिप का पद दे दिया गया.वहीं, दूसरी ओर उसी दिन शिंदे गुट ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें पुष्टि की गई कि शिंदे विधायक दल का नेतृत्व जारी रखेंगे.


शिवसेना में विभाजन के दो दिन बाद प्रभु ने एक बैठक बुलाई. इसमें शामिल नहीं होने के लिए शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका को स्पीकर के पास दायर किया गया. इसके बाद 27 जून को शिंदे गुट के 22 और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं को दायर किया गया.बाद में दो और विधायकों के खिलाफ याचिकाएं दायर की गईं.


बदले में शिंदे गुट ने 14 शिवसेना (यूबीटी) विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर कीं. प्रभु ने इन जवाबी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.
 
कोर्ट ने क्या कहा?
मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कहा. अदालत ने स्पीकर से कहा कि उन्हें अपने निर्णय को इस बात पर नहीं करना चाहिए कि विधानसभा में किस समूह के पास बहुमत है और स्पीकर को पहले यह निर्धारित करना चाहिए कि चुनाव आयोग के आदेश से प्रभावित हुए बिना, कौन सा गुट एक राजनीतिक दल है.


यह भी पढ़ें- Suchna Seth Child Murder Case: पति से चाहती थी 2.5 लाख महीने, इस सनक में जिगर के टुकड़े को उतारा मौत के घाट, पढ़ें हत्यारी मां सूचना सेठ की खौफनाक कहानी