पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने खुलासा किया कि पुलवामा हमले और किसान आंदोलन को लेकर उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से झगड़ा हो गया था. उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले का बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पॉलिटिकली इस्तेमाल किया है. उन्होंने यह भी कहा कि वह घटना सरकार की गलती की वजह से हुई, लेकिन सरकार ने उसको दबा दिया. उन्होंने कहा कि 2021 में कृषि आंदोलन को लेकर उनका प्रधानमंत्री मोदी से झगड़ा हो गया था, जिसके बाद उनकी बातचीत बंद हो गई.


यूपी तक के साथ इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले को लेकर कहा कि सीआरपीएफ ने जम्मू से श्रीनगर अपने जवानों को ले जाने के लिए 4 एयरक्राफ्ट मांगे थे. सड़क के माध्यम से इतने जवानों को लेकर नहीं जाते हैं. 4 महीने उनकी रिक्वेस्ट होम मिनिस्ट्री में पड़ी रही और फिर रिजेक्ट हो गई. उन्होंने कहा कि तब जवान सड़क मार्ग पर चले और ये दुर्घटना हुई. सत्यपाल मलिक ने कहा कि उस बीजेपी चुनाव हार रही थी, लेकिन पुलवामा हमले का पॉलिटिकल इस्तेमाल करके जीत गए. 


सत्यपाल मलिक ने कहा, 'आज भी अगर विपक्ष पुलवामा हमले का मुद्दा उठाए तो बीजेपी चुनाव हार जाएगी. मुझे विपक्ष से भी शिकायत है वो भी नहीं उठा रहे इस मुद्दे को.' उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है, उसे भी सड़कों पर होना चाहिए और सरकार के खिलाफ पुलवामा हमले, कृषि कानून को लेकर सवाल उठाने चाहिए.


किसान आंदोलन को लेकर हो गया पीएम मोदी से झगड़ा
सत्यपाल मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान गवर्नर रहते हुए वह पीएम मोदी से बात करने गए और उनका झगड़ा हो गया. उन्होंने कहा, 'गवर्नर रहते हुए मैं बोला उसका एक असर हुआ और किसानों को अच्छा लगा. मैंने पीएम मोदी से कहा कि ये किसान 4 महीने से धरने पर बैठे हैं, उनसे बात करें. आप ना करें तो किसी और से बात करवा दें तो वो बोले नहीं कुछ नहीं होता वो चले जाएंगे. मैं इस पर रिएक्ट कर गया. मैंने कहा आप जानते नहीं हो, ये तब जाएंगे, जब आप चले जाओगे. इनसे लड़ा नहीं जाता बात की जाती है. सत्यपाल मलिक ने आगे कहा, 'उस वक्त उन्हें समझ नहीं आया फिर दो महीने बाद माफी मांगी और कानून वापस लिया. इसके बाद मेरी बातचीत उनसे बंद हो गई और बाद में मुझे जो बात करनी होती थी अमित शाह के जरिए करते थे. वो अच्छे आदमी हैं उनसे मेरी अच्छी बातचीत थी.'


सत्यपाल मलिक ने बताया कैसे बीता बचपन और राजनीति में एंट्री की कहानी
सत्यपाल मलिक ने अपने बचपन और राजनीति में एंट्री को लेकर कहा कि उनका बचपन औरों से अलग था क्योंकि 2 साल की उम्र में ही पिता का देहांत हो गया. कोई स्कूल में दाखिला करवाने वाला भी कोई नहीं तो खुद ही 5 साल की उम्र में एडमिशन लिया. उन्होंने आगे बताया कि 8 साल की उम्र में खेती संभाल ली. शुरुआत में परिवार के लोगों ने बेईमानी की फिर उनसे जमीन छुड़ाकर खेती कराई और इसी तरह विस्तार होता गया. 12वीं तक तो 5 किलोमीटर दूर एक स्कूल में पढ़ाई की और फिर यूनिवर्सिटी गया. 


सत्यपाल मलिक ने आगे बताया कि वह डिबेट में हिस्सा लेते था तो उसके बेस पर उन्हें दो बार प्रेसिडेंट चुना गया. जब दूसरी बार प्रेसिडेंट चुने गए तो यूपी में बहुत बड़ा स्टूडेंट मूवमेंट हुआ था, जिसमें 40 लड़के शहीद हुए. तब उन्हें बहुत शोहरत मिली और चौधरी चरण सिंह ने उनको पार्टी ज्वॉइन करने को कहा. सत्यपाल मलिक ने बताया कि चौधरी चरण सिंह ने उन्हें 1974 में विधानसभा का चुनाव लड़वाया. उन्होंने कहा कि तीन बार से उस सीट पर कैंडिडेट हार रहा था, लेकिन सत्यपाल मलिक जीत गए. इसके बद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा. फिर राज्यसभा गए, लोकसभा गए. मंत्री बने, गवर्नर बने. उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति से ही वह केंद्र की राजनीति में आए.


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