नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत की मुलाकात के बाद महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज़ है. इस मुलाकात के ठीक अगले दिन राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी मुलाकात की जिसके बाद अटकलों का दौर और तेज़ हो गया है. इस बीच केंद्रीय राज्यमंत्री और बीजेपी के सहयोगी दल आरपीआई के अध्यक्ष रामदास आठवले ने ABP न्यूज़ से खास बातचीत में कहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना को बीजेपी के साथ 50-50 पर्सेंट की भागीदारी के साथ सरकार बनानी चाहिए.

महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति के सवाल पर रामदास आठवले ने कहा, "शिवसेना एक बहुत अहम हिस्सा थी, लेकिन उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस से मिलकर सरकार बनाई है. इतने दिन तीनों की सरकार चलना बहुत मुश्किल है. शिवसेना बीजेपी 25-30 साल से दोस्त रहे हैं और कोई बहुत ज्यादा मतों पर मतभेद भी नहीं थे. देवेंद्र फडणवीस विपक्ष के नेता हैं, बीजेपी के नेता भी हैं और उनसे संजय राउत मिले हैं. मुझे पता नहीं कि क्या बात हुई है. मैंने तो बहुत बार बोला है कि शिवसेना को वापस बीजेपी के पास आना चाहिए. बाला साहब ठाकरे जी का शिव शक्ति का सपना अगर पूरा करना है तो शिवसेना का एनसीपी के साथ रहना ठीक नहीं है. और मुझे लगता है कि अगर इस तरह का प्रयोग हो जाता है कि बीजेपी शिवसेना और आरपीआई एक साथ आ जाते हैं तो हम तीनों की सरकार बनेगी. शिवसेना को दिल्ली में भी मंत्री पद मिलेगा. संजय राउत और देवेंद्र फडणवीस ने बोला है कि कोई राजनीतिक चर्चा नहीं थी. कुछ चर्चा करने के लिए वह गए थे और यह उद्धव ठाकरे को भी मालूम था. जब संजय राउत देवेंद्र फडणवीस मिले तो पवार साहब उद्धव ठाकरे को मिले. इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि यह क्या हो रहा है? मेरा मत है कि शिवसेना को बीजेपी के पास वापस आना चाहिए. उद्धव ठाकरे को एक दो साल और मुख्यमंत्री रहना चाहिए बाद में मुख्यमंत्री पद देवेंद्र फडणवीस को दे देना चाहिए."

बीजेपी और शिवसेना की भागीदारी पर रामदास आठवले ने कहा, "मेरा व्यक्तिगत मत है कि बीजेपी के साथ शिवसेना का आना उसमें शिवसेना का ज्यादा फायदा है. शिवसेना को बीजेपी के साथ ही सरकार बनानी चाहिए थी. 50-50 प्रतिशत सत्ता की भागीदारी भी लेनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं मुख्यमंत्री पद पर अड़चन रही. सरकार गिराने की बीजेपी की कोई कोशिश नहीं है. आगे क्या करना है वह देखेंगे, लेकिन सरकार गिरने से पहले ही अगर शिवसेना बीजेपी की तरफ आ जाती है, तो वह बहुत अच्छा रहेगा.

महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार के भविष्य पर आठवले का कहना है, "यह लोग बोल रहे हैं कि सरकार 5 साल चलेगी लेकिन हमें नहीं लगता कि 5 साल चलेगी. यह सरकार एक-डेढ़ साल के लिए ही बनी थी 5 साल के लिए नहीं क्योंकि इन तीनों का तालमेल होना बहुत मुश्किल है. विचारधारा अलग-अलग है हमेशा एक दूसरे का बहुत तगड़ा विरोध किया है, लेकिन अचानक सत्ता के लिए तीनों एक साथ आ गए हैं. कांग्रेस पार्टी ने तो गलत निर्णय ले लिया है, उन्हें इनको समर्थन नहीं देना चाहिए था कांग्रेस ने अपने पैर पर पत्थर मार लिया है. यह लोग तो बोल रहे हैं लेकिन बोलते बोलते सरकार गिर जाएगी."

रामदास आठवले का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच पर इन राजनीतिक समीकरणों का कोई असर नहीं पड़ेगा. आठवले का कहना है, "सुशांत की मौत के मामले की जांच अब सीबीआई के हाथ में हैं ना कि महाराष्ट्र सरकार के. सीबीआई इंक्वायरी कर रही है और सीबीआई निर्णय तक पहुंचेगी. मेरा शक यह है कि सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या नहीं कर सकते. उनके पिता जी यह कह रहे हैं, उनकी बहने यह कह रही हैं, कोई सुसाइड नोट भी नहीं लिखा है. गले पर चोट है लेकिन उनका गला दबाकर उनको मारा होगा इस तरह की आशंका हमें है. इसकी पूरी जांच सीबीआई को करने की आवश्यकता है."

बीजेपी और शिवसेना के साथ न आने की स्तिथि में रामदास आठवले ने शरद पवार को बीजेपी के साथ आने का न्योता भी दे दिया. आठवले ने कहा, "अगर शिवसेना साथ आती है तो सरकार बनेगी. अगर शिवसेना साथ में नहीं आती है तो शरद पवार जी एनडीए में आने का विचार कर सकते हैं. अगर वह एनडीए में आते हैं तो यहां पर बीजेपी के साथ सरकार में रहेंगे और दिल्ली में भी उन्हें सत्ता का कोई बड़ा पद मिल सकता है. पवार साहब किसान के नेता भी हैं और यह जो तीन बिल पास हुए हैं वह किसानों के लिए अच्छे हैं. पवार साहब हमेशा इस बात के लिए आगे रहे हैं कि किसानों को अच्छी आमदनी मिलनी चाहिए और नरेंद्र मोदी भी यही बात करते रहे हैं. यह दो नेता अगर एक साथ आ जाते हैं तो देश के किसानों को न्याय मिलेगा मुझे लगता है या तो शिवसेना बीजेपी के साथ है और शिवसेना नहीं आती है तो राष्ट्रवादी कांग्रेस को बीजेपी के साथ आना चाहिए और महाराष्ट्र में सरकार बननी चाहिए."

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