केंद्रीय सूचना आयोग (CIC), आठ सूचना आयुक्तों और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) में एक विजिलेंस कमिश्नर की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सामने तीखी आपत्ति दर्ज कराई. बैठक में LOP राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा कि इस चयन प्रक्रिया में देश की लगभग 90% आबादी दलित, आदिवासी, OBC/EBC और अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है.

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सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि बहुजन समुदाय की यह उपेक्षा कोई नई बात नहीं है, बल्कि संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं में नियुक्तियों के दौरान वर्षों से जारी एक व्यवस्थित पैटर्न बन चुकी है.

सरकार ने LOP को दी जानकारीLOP ने कुछ सप्ताह पहले सरकार से आवेदकों की जातिगत संरचना का डेटा मांगा था. आज बैठक में जब ये जानकारी प्रदान की गई, तो सरकार ने स्वीकार किया कि कुल आवेदकों में बहुजन समुदाय के उम्मीदवार 7% से भी कम थे, और शॉर्टलिस्ट किए गए नामों में सिर्फ 1 उम्मीदवार ही बहुजन समुदाय से था. इस आंकड़े ने नियुक्ति प्रक्रिया की समावेशिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

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बहुजन समुदाय के नामों पर विचार करेगी सरकारराहुल गांधी की कड़ी आपत्ति के बाद, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने सीमित उपलब्ध उम्मीदवारों में से कुछ बहुजन समुदाय के नामों पर विचार करने के लिए सहमति जताई है. हालांकि, चयन समिति में सरकार का 2:1 का बहुमत होने के कारण अब सबकी नजर इस बात पर है कि LOP की असहमति, आपत्तियों और सिफारिशों को अंतिम नियुक्तियों में वास्तव में कितना महत्व दिया जाता है. यह विवाद अब उच्च संस्थाओं में प्रतिनिधित्व और पारदर्शिता पर राष्ट्रीय बहस का विषय बन सकता है.