नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सेना और देश के दूसरे सुरक्षबालों में तैनाते स्निफर-डॉग्स के बारे में बात की और बताया कि किस तरह देश की सुरक्षा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. पीएम ने देसी नस्ल के उन कुत्तों के बारे में भी चर्चा की, जिन्हें देश की सुरक्षा के लिए तैयार किया जा रहा है. आज एबीपी न्यूज आपको देश की अलग अलग डॉग-डॉग स्क्वायड्स और उनकी सूझबूझ से हाल के सालों में किस तरह देश के भीतर और बॉर्डर पर मंडरा रहे आतंकी हमलों और लैंड माइन्स के खतरों को तो टाला जा सका और देशवासियों और सैनिकों की जान भी बच पाई, उसके बारे में विस्तार से बताने जा रहा है.


सबसे पहले बात करते हैं कि भारतीय सेना की टॉप सीक्रेट क्रैक यूनिट स्पेशल फ्रंटियर फ्रोर्स यानी एसएफएफ के डॉग सोफी की, जिसने हाल ही में राजधानी दिल्ली में एक बड़े आतंकी हमले से बचाया था. एक बेहद ही गोपनीय ऑपरेशन में सोफी डॉग ने कैमिकल और एक्सप्लोसिव की मदद से तैयार किए गए आईईडी-बम को ब्लास्ट होने से बचाया था. इस ऑपरेशन के लिए सोफी को इसी स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन-कार्ड (बैच) से नवाजा था. क्योंकि एसएफएफ के बारे में सेना या सिक्योरिटी-सर्किल्स में ज्यादा चर्चा नहीं की जाती है, ऐसे में सेना ने इस ऑपरेशन के बारे में ज्यादा जानकारी देने से मना कर दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि शुरूआती ऑपरेशन के बाद एसएफएफ ने इस मामले को स्थानीय पुलिस या फिर किसी दूसरी सिविल इंवेस्टीगेशन-एजेंसी को सौंप दिया होगा.



इसी स्वतंत्रता दिवस पर सेना प्रमुख ने उधमपुर स्थित उत्तरी कमान मे तैनात डॉग विदा को भी चीफ ऑफ आर्मी कमंडेशन कार्ड से नवाजा है. सेना से मिली जानकारी के मुताबिक, विदा डॉग अब तक सरहद पर कम से कम पांच (05) लैंड माइन्स और जमीन में दबे एक ग्रेनेड को डिटेक्ट कर चुकी है, जिससे बड़ी संख्या में सैनिकों को हताहत होने से बचाया जा सका है.


सेना में 08 तरह के स्निफर डॉग्स हैं. इनमें ट्रैकर, गार्ड, माइन-डिटेक्शन, एक्सपसलोज़िव, इंफेंट्री-पैट्रोलिंग, एवलांच-रेस्कयू ऑपरेशन, सर्च एंड रेस्कयू ऑपरेशन, एसॉल्ट एंड नारकोटिक्स डिटेक्शन शामिल हैं. इन सभी डॉग्स की ब्रीडिंग और ट्रैनिंग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित आरवीसी यानी रिमाउंटेड एंड वेटरनरी सेंटर में की जाती है. थलसेना ने ही सबसे पहले देसी ब्रीड मुधोल हाउंड को ट्रैनिंग देकर अपनी डॉग स्कॉवयड में शामिल किया है. इस ब्रीड का खास जिक्र पीएम ने अपनी ‘मन की बात’ में किया है. इन्हे ‘कैनाइन-सोल्जर’ के नाम से जाना जाता है.


सेना मुख्यालय से एबीपी न्यूज को मिले आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में (जुलाई 2019 से अबतक) आर्मी-डॉग्स ने कम से कम 30 आईईडी और एक्सपलोजिव को डिटेक्ट किया जबकि पांच (05) बार तो घर और जंगलों में छिपे आंतकियों का भी पता स्निफर-डॉग्स ने ही लगाया. 14 ऑपरेशन ऐसे सेना ने किए जिनमें हथियार और गोला-बारूद को डॉग स्कॉवयड की ही निशानदेही पर जब्त किया गया. वहीं चार सर्च एंड रेस्कयू ऑपरेशन्स ऐसे थे, जहां एवलांच या बर्फ में दबे सैनिकों तक को इन्ही डॉग्स ने खोज निकाला. कुल 50 ऑपरेशन्स ऐसे थे जहां डॉग-स्कॉवयड ने सैनिकों को सीधे तौर से मदद की.


आरवीसी सेंटर में ट्रैनड डॉग्स की काबलियत को देखते हुए बांग्लादेश, म्यांमार और कंबोडिया जैसे मित्र-देश भी यहां प्रशिक्षित कुत्तों की मांग की है. यही नहीं नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, साऊथ अफ्रीका, बांग्लादेश और सेशल्स जैसे देश अपने सैनिकों को डॉग-ट्रेनिंग के लिए मेरठ भेज रहे हैं. वर्ष 2017 में जापान के सेना प्रमुख ने मेरठ स्थित आरवीसी सेंटर का दौरा किया कर इस ट्रेनिंग सेंटर की जमकर तारीफ की थी.


नेशनल सेंटर फॉर ट्रेनिंग ऑफ डॉग्स (एनसीटीडी)—गृह मंत्रालय के लिए इस डॉग संस्थान को बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) 1970 से ग्वालियर में चलाती है. इस सेंटर में बीएसएफ बाकी केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सेंट्रल इंवेस्टीगेशन एजेंसी और राज्यों की पुलिस के लिए डॉग्स और डॉग-हैंडलर्स को ट्रैनिंग देती है. यहां ट्रैनड एक डॉग, हीएरो ने हाल ही में कस्टम डिपार्टमेंट के लिए मुंबई में 100 करोड़ की नारकोटिक्स और दूसरे सामान को जब्त कराने में मदद की थी. दिल्ली एयरपोर्ट पर तैनात कस्टम के ही दूसरे डॉग, सोनू ने कुछ साल पहले 2 करोड़ की हशीश जब्त कराने में मदद की थी.



सीआरपीएफ- पीएम ने मन की बात में सीआरपीएफ के क्रेकर डॉग का विशेष तौर से बात की जिसने वर्ष 2017 में नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के बीजपुर जिले के जंगलों में एक पावरफुल आईईडी को डिटेक्ट किया था. लेकिन उसी दौरान वो आईईडी बलास्ट हो गई जिसमें बेलजियन-शेफर्ड मलोनोईज नस्ल के डॉग की मौत हो गई थी. लेकिन मरने से पहले उसने साथ चल रहे सभी सीआरपीएफ को सुरक्षित बचा लिया था. सिर्फ उसके हैंडलर, कांस्टेबल वाई एस अविनाश को मामूली चोट आई थी. सीआरपीएफ ने इस क्रेकर डॉग की मौत के बाद एक वीरगति प्राप्त हुए सैनिक का दर्जा दिए हुए अंतिम-संस्कार किया था. बाकयदा एक सैनिक के शव की तरह उसे फूलों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी. नक्सल प्रभावित इलाकों और आंतकग्रस्त कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों के साथ डॉग स्कॉवयड हमेशा साथ रहता है.


आईटीबीपी- चीन (तिब्बत) सीमा पर तैनात इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस के पास एक जबरदस्त के-9 डॉग नाम का एक पूरा स्कॉवयड है. राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के लिए वीवीआईपी सिक्योरिटी हो या कैलाश मानसरोवर यात्रा या फिर नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में ये के-9 डॉग्स बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आईटीबीपी के इस डॉग स्कॉवयड को प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाली एसपीजी (स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप) भी इस्तेमाल करती है.



एनएसजी- नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स यानी ब्लैक कैट कमांडो को एंटी-टेरर ऑपरेशन्स में तो महारत हासिल है ही जिसके लिए वे खास स्निफर डॉग्स का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन देशभर में होने वाले बम धमाकों इत्यादि के लिए भी एनएसजी एक नोडल एजेंसी है जो अपने स्निफर डॉग्स का इस्तेमाल किसी बम, आईडी या फिर एक्सपलोज़िव की डिटेक्शन में इस्तेमाल करती है. हाल ही में राजधानी दिल्ली में जब आईएसआईएस का एक आंतकी आईईडी के साथ गिरफ्तार किया गया था, तब दिल्ली पुलिस ने एनएसजी के ही कमांडो और स्निफर डॉग्स की मदद ली थी.


सीआईएसएफ- देशभर के एयरपोर्ट और मैट्रो रेल की सुरक्षा करने वाली फोर्स, सेंट्रल इंडिस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स भी स्निफर डॉग्स का इस्तेमाल करती है.


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