PFI Ban: केन्द्र सरकार ने देशभर में पीएफआई के आतंकी गतिविधियों में लगातार सक्रियता के सबूत मिलने के बाद इसके ऊपर बड़ा एक्शन लिया है. गृह मंत्रालय ने मंगलवार की देर रात नोटिफिकेशन जारी कर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) (पीएफआई) को बैन करने का आदेश जारी किया है. विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट इंडिया पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया गया है. इससे पहले पीएफआई के खिलाफ देशभर में एनआईए की छापेमारी हुई और इसमें सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारी की गई है.


दरअसल, एनआईए की पीएफआई के खिलाफ पहली छापेमारी 22 सितंबर को हुई और दूसरे राउंड की छापेमारी 27 सितंबर को. पहले राउंड के दौरान 106 पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, 27 सितंबर को 247 लोगों को गिरफ्तार/हिरासत में लिया गया. एनआईए समेत अन्य जांच एजेंसियों को पीएफआई के खिलाफ सबूत मिले हैं जिसके बाद गृह मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की गई थी. वहीं, अब गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर 5 सालों के लिए बैन लगा दिया है.


आइये जानते हैं वो क्या सबूत थे जिसके आधार पर पीएफआई पर बैन लगा...


ऑपरेशन ऑक्टोपस के 2 राउंड में NIA, ATS और स्टेट पुलिस को PFI के मिशन 2047 से जुड़े ऐसे सबूत मिले हैं जो इस ऑर्गेनाइजेशन पर बैन की वजह माने जा सकते हैं. इनमें, हिंदुस्तान को सिविल वॉर में झोंकना, 2047 तक ऑपरेशन गजवा-ए-हिंद को पूरा कर लेना और हिंदुस्तान में इस्लामिक शासन लागू करना हैं.


फंडिंग


खुफिया सूत्रों के हवाले से एबीपी न्यूज़ को PFI की फंडिंग से जुड़े कुछ बड़े राज पता चले हैं. PFI को मिलने वाली फंडिंग का सबसे बड़ा हिस्सा गल्फ कंट्रीज में रहने वाले मुसलमानों से आता था. PFI की फंडिंग और नेटवर्किंग का बड़ा काम कतर, बहरीन, कुवैत और तुर्की में होता था. PFI कई हवाला चैनलों का इस्तेमाल खाड़ी से भारत तक पैसा पहुंचाने के लिए करता था. कर्नाटक औऱ केरल PFI के मनीबैंक थे और यहीं से पैसा पूरे भारत में बांटा जाता था.


पैसे को खातों में ट्रांसफ़र करने के लिए...


इतना ही नहीं पीएफ़आई की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने एबीपी न्यूज़ को बताया है कि पीएफआई हवाला के ज़रिए आए पैसे को खातों में ट्रांसफ़र करने के लिए स्थानीय लोगों के नाम का फर्जी इस्तेमाल करता है. यानी जो पैसे खाड़ी से आते थे उन्हें स्थानीय चंदे के तौर पर दिखाया जाता था. जांच एजेंसियों ने जब चंदे देने वालों के पते को क्रॉस वेरिफाई किया तो सारी पोल खुल गई. रिहैब इंडिया फाउंडेशन ये PFI की चैरिटी संस्था मानी जाती है लेकिन जांच में पता चला है कि यही रिहैब इंडिया फाउंडेशन पीएफ़आई की चंदा उगाही वाली विंग है जिसे सऊदी अऱब से मोटी रकम मिलती थी. 


भारत विरोधी एजेंडा सेट होता था


ख़ुफ़िया एजेंसियों के सूत्रों के सबसे चौंकाने वाला खुलासा तो ये है कि PFI और उसकी पॉलिटिकल बॉडी SDPI के कई सीनियर लीडर कुछ NGO के साथ मिलकर तुर्कीए की यात्रा करते थे. तुर्किए से भारत विरोधी एजेंडा सेट होता था. तुर्किए में पीएफआई के लोग सीरिया में टेरर-फंडिंग में शामिल संगठनों से भी मिलते थे.


हिंदुस्तान के खिलाफ युद्ध


इतना ही नहीं खुफिया एजेंसियों के पास पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े औऱ इनसे प्रभावित हुए ऐसे कई लोगों की लिस्ट है जो इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए मुल्क छोड़ गए. सूत्रों के मुताबिक हिंदुस्तान में नरसंहार औऱ हिंदुस्तान के खिलाफ युद्ध इसी एजेंडे पर पीएफआई की एंटी इंडिया ब्रिगेड काम कर रही थी लेकिन ऑपरेशन ऑक्टोपस ने हर मंसूबा फेल कर दिया. 


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