Pakistan Election Rigging Allegations: पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के परिणाम का भविष्य क्या होगा, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. अब इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आम चुनाव को रद्द भी किया जा सकता है. इसकी वजह है कि पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने एक शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी की ओर से लगाए गए धांधली के आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. अगर यह समिति भी धांधली की पुष्टि करती है तो बहुत हद तक संभव है कि चुनाव परिणाम रद्द कर दिए जाएं.


अधिकारी ने कहा था कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के साथ रावलपिंडी में चुनाव में न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग की शह पर धांधली की गई. रावलपिंडी के पूर्व आयुक्त लियाकत अली चट्ठा ने शनिवार (17 फरवरी) को आरोप लगाया कि शहर में जो उम्मीदवार चुनाव हार रहे थे, उन्हें जिताया गया.


'13 हारे उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया गया'


लियाकत अली चट्ठा ने दावा किया कि रावलपिंडी में 13 उम्मीदवारों को जबरदस्ती विजेता घोषित किया गया, जबकि वे हार रहे थे. उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया जब इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने 8 फरवरी को हुए आम चुनाव में धांधली और पार्टी को मिले जनादेश को छीने जाने के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू किया है.


'चुनाव आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश धांधली में शामिल'


पाकिस्तान के समाचार पत्र ‘डान’ में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, रावलपिंडी के पूर्व आयुक्त चट्ठा ने कहा, ‘‘मैं इस गड़बड़ी की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और बता रहा हूं कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य न्यायाधीश इसमें पूरी तरह से शामिल हैं.’’


चट्ठा ने चुनाव परिणामों में हेर-फेर की ‘जिम्मेदारी’ लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था. पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने चट्ठा की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया है. ईसीपी ने आरोपों पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन बैठक की और आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया.


चुनाव आयोग का आरोपों से इनकार


मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में शामिल हुए. उधर, रावलपिंडी के नवनियुक्त आयुक्त सैफ अनवर जप्पा ने आम चुनाव में धांधली के संबंध में पूर्व आयुक्त की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव में आयुक्त की भूमिका केवल समन्वय के लिए रही है. धांधली के दावे बेबुनियाद हैं.


(भाषा इनपुट के साथ)


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