राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है. गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित और औपचारिक कार्यक्रम में इस सम्मान को ग्रहण किया. वहीं, आजाद ने इस पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, 'अच्छा लगा किसी ने मेरे काम को पहचाना.'


गुलाम नबी आजाद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "देश किसी भी काम को पहचानता है तो उससे और भी अच्छा काम करने की इच्छा मन में पैदा होती है और मुझे लगता है कि ये अच्छा है कि किसी ने मेरे काम को पहचाना. इसमें ये नहीं देखना चाहिए कि किसको मिला और क्यों मिला? ये पुरस्कार राष्ट्र की तरफ से दिया जाता है." उन्होंने आगे कहा कि, पद्म पुरस्कार किसी सरकार द्वारा नहीं, देश के द्वारा दिया जाता है. 


आलोचना करने वालों को गुलाम नबी ने दिया जवाब


पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किये जाने आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, इन लोगों को किसी के इतिहास की जानकारी नहीं है. ना वो जानते हैं कि कौन पहले से पार्टी में काम कर रहा है और किसका कहा और कितना योगदान है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि, जिन लोगों को इतिहास की जानकारी नहीं केवल वहीं ऐसी बातें करते हैं. 


जानें कैसा रहा है गुलाम नबी आजाद का राजनीति सफर


गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के सदस्य थे. आजाद साल 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे. करीब 41 सालों से संसदीय राजनीति आजाद साल 2014 से राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे. वह पांच बार राज्यसभा और दो बार लोकसभा सांसद भी रहे. 


कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार में आजाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री थे. साल 2014 में, जब बीजेपी की अगुवाई वाली NDA ने सरकार बनाई तो आजाद को राज्यसभा में विपक्ष के नेता नियुक्त किया गया. इसके बाद साल 2015 में आजाद को जम्मू और कश्मीर से राज्यसभा के लिए फिर से चुने गए थे. आजाद को साल 2015 के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुस्कार भी मिल चुका है.


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