Woman On Talaq-E-Hasan in SC: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें तलाक-ए-हसन और एकतरफा तलाक के अन्य सभी रूपों को असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई है. ये याचिका गाजियाबाद की रहने वाली बेनजीर हीना ने दायर की है. उन्होंने दावा किया है कि वो तलाक-ए-हसन का शिकार हुई हैं. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र को सभी नागरिकों के लिए समान आधार और प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से सभी के लिए तलाक की समान प्रक्रिया की गाइडलाइन जारी करने का निर्देश देने की मांग की है.


क्या कहना है बेनजीर हीना का


याचिकाकर्ता बेनजीर हीना का कहना है कि तलाक-ए-हसन संविधान के खिलाफ है और मुस्लिम मैरिज एक्ट 1939 में एकतरफा तलाक देने का हक सिर्फ पुरुषों को ही है. बेनजीर ने मांग की है कि केंद्र सरकार सभी धर्मों, महिलाओं और पुरुषों के लिए एक समान तलाक का कानून बनाए. तलाक-ए-हसन से पीड़ित होने का दावा करने वाली बेनजीर हीना का आरोप है कि उनके पति ने दहेज के लिए उनका उत्पीड़न किया और विरोध करने पर एकतरफा तलाक का एलान कर दिया.


मुस्लिम पर्सनल लॉ की धारा 2 को भी असांविधानिक घोषित करने की मांग


याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) कानून 1937 की धारा 2 को भी असांविधानिक घोषित करने की मांग की है. दावा है कि ये धारा अनुच्छेद 14,15,21 और 25 का उल्लंघन करती है.


क्या होता है तलाक-ए-हसन


इसमें पति तीन अलग-अलग- मौकों पर बीवी को तलाक कहकर या लिखकर तलाक दे सकता है. इसमें इद्दत खत्म होने से पहले तलाक वापसी का मौका रहता है. तीसरी बार तलाक कहने से पहले तक शादी लागू रहती है लेकिन बोलने के तुरंत बाद खत्म हो जाती है. इस तलाक के बाद पति-पत्नी दोबारा शादी कर सकते हैं. लेकिन पत्नी को इसमें हलाला कराना पड़ता है.


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