मुंबईः बीएमसी ने कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज की शुरुआत कर दी है लेकिन 6 दिन में 15 फीसदी से भी कम स्वास्थकर्मियों को बीएमसी डोज लगा पाया है. 6 दिन में 15 फीसदी से भी कम स्वास्थकर्मियों को डोज लगने के पीछे एक कारण डुप्लिकेशन है. 3 से 4 केंद्र में एक ही डॉक्टर के नाम लिस्ट में होने के चलते वैक्सीनेशन का आंकड़ा बीएमसी पूरा नही कर पा रही है. पहले और दुसरे चरण में डॉक्टर्स और स्वस्थ्यकर्मियों को वैक्सीन देने की शुरूआत बीएमसी कर चुकी है.


पहले चरण में अब तक बीएमसी एक लाख 55 हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगा चुकी है. स्वास्थ्यकर्मियों को दूसरे डोज देने का काम भी बीएमसी के सभी केंद्रों में शुरू किया जा चुका है. लेकिन, तकनीकी खराबी के चलते बीएमसी स्वास्थ्यकर्मियों को दूसरा डोज देने का लक्ष्य पूरा नही कर पा रही है.


मुंबई में दूसरे डोज की शुरुआत 15 फरवरी की जा चुकी है लेकिन 6 दिन में बीएमसी 15 प्रतिषद से भी कम स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन दे पाई है. 6 दिन में इतने कम स्वास्थ्यकर्मियों का वैक्सीन लेने के पीछे सबसे बड़ी वजह कोविन एप में हो रही तकनीकी दिक्कत है. जिसके चलते लोगों को मैसेज नहीं पहुंच पा रहा है. लेकिन इसके पीछे दूसरी एक वजह डुप्लीकेशन भी है जिसके चलते वैक्सीनेशन की स्पीड पर ब्रेक लगता जा रहा है.


एप में डुप्लीकेशन


एप में डुप्लीकेशन की समस्या के बारे में हमने बीएमसी के अतिरिक्त आयुकित सुरेश काकानी से मुलाकात की. सुरेश काकानी ने एबीपी न्यूज़ से बताया कि दूसरे डोज के वैक्सीनेशन की गति धीमी होने के पीछे डुप्लीकेशन एक कारण ज़रूर है लेकिन उससे सबसे बड़ा कारण है कोविन एप. हमने ये पाया है कि एक डॉक्टर्स के नाम दो से चार जगहों पर लिस्ट हुए है. लेकिन डुप्लीकेशन सबसे बड़ी समस्या नही है. इस तकनीकी दिक्कत को सुलझाने के बीएमसी काम कर रही है और इसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. हमारे लिए कोविन एप में हो रही तकनीकी दिक्कत सबसे बड़ी समस्या है. लेकिन अब तक हम 1 लाख 55 हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों को पहली डोज दे चुके है और दूसरे डोज की शुरुआत भी कर दी है. दूसरे डोज की गति धीमी पड़ने के पीछे तीसरा कारण यह बताया जा रहा है कि डॉक्टर्स दूसरा डोज लेने से कतरा रहे है. लेकिन मैं आपको बता दूं की यह कोई वाजिब कारण नहीं है और न ही इसमे कोई सच्चाई.


वैक्सीनेशन की गति इसलिए भी धीमी पड़ी है क्योंकि अबतक कई डॉक्टर्स की पहले चरण में लगी डोज की अवधि पूरी नही हुई है. पहले डोज और दूसरे डोज के बीच महीने भर का अंतर होना ज़रूरी है. 45 दिन शरीर मे एंटीबॉडीज बनने का समय लगता है. समय के हिसाब से हम स्वास्थ्यकर्मियों को डोज देंगे. साथ ही एप में आ रही कई तरह की तकनीकी दिक्कतों को बीएमसी जल्द ही सुलझाई जाएगी और सवा लाख स्वास्थ्यकर्मियों को दूसरा डोज देने का लक्ष्य प्राप्त करेगी.


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