HIgh Court Judges: 2018 के बाद देश के सभी हाई कोर्ट में जिन जजों की नियुक्तियां हुई हैं, उनमें 75 प्रतिशत सामान्य वर्ग के हैं. केंद्रीय विधि मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा में ये जानकारी दी है. संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session 2023) के दूसरे दिन ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से जजों की नियुक्तियों को लेकर सवाल पूछा था. ओवैसी ने ट्वीट कर इस बारे में बताया. 


ओवैसी ने ट्वीट कर बताया कि लोकसभा में मेरे प्रश्न के उत्तर में, सरकार ने खुलासा किया कि 2018 से 17 जुलाई, 2023 तक नियुक्त 604 हाई कोर्ट जज में से 458 न्यायाधीश सामान्य श्रेणी के हैं, जो 75% से अधिक है. 


ओवैसी ने पूछा था ये सवाल


लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, ओवैसी ने विधि एवं न्याय मंत्रालय से पूछा था कि क्या ये सच है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सभी हाई कोर्ट में नियुक्त 79% न्यायाधीश ऊंची जातियों से थे, जो न्यायपालिका में पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के असमान प्रतिनिधित्व को दर्शाता है.


ओवैसी के सवाल के जवाब में केंद्रीय कानून मंत्रालय ने बताया कि अनुशंसाकर्ताओं से मिली जानकारी के अनुसार, 2018 के बाद से अब तक नियुक्त 604 हाई कोर्ट जज में 458 सामान्य वर्ग के हैं. हालांकि, मंत्री ने प्रतिशत नहीं बताया लेकिन ये संख्या कुल नियक्तियों का 75 प्रतिशत है.


जजों की नियुक्ति में आरक्षण नहीं


मंत्री ने ये भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत की जाती है. इन नियुक्तियों में किसी तरह का आरक्षण नहीं दिया जाता है. हालांकि, उन्होंने बताया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यकों और महिलाओं के उपयुक्त उम्मीदवारों पर विचार करके सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने का अनुरोध कर रही है.


किस वर्ग से कितने जज?


कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया, 2018 के बाद सभी हाई कोर्ट में नियुक्त कुल जजों में 18 जज अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं. 9 जज अनुसूचित जनजाति, 72 अन्य पिछड़ा वर्ग और 34 अल्पसंख्यक श्रेणी से आते हैं. 13 जजों के बारे में उनके द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है.


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