Karnataka PSI Recruitment Scam: कर्नाटक की नव-निर्वाचित सिद्धारमैया सरकार के एक फैसले ने राज्य के 545 नव-नियुक्त पुलिस उप-निरीक्षक का भविष्य अधर में डाल दिया है. दरअसल बीजेपी के शासन काल में हुई इन भर्तियों में हुए कथित घोटाले की जांच के लिए सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया है, जिसकी जांच हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज करेंगे.


कांग्रेस ने 545 पीएसआई की भर्ती में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया था. विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान यह भगवा पार्टी के खिलाफ उसके प्रमुख हथियारों में से एक था. 


पुलिस ने दिया था सीआईडी जांच का आदेश
परीक्षा परिणामों में हेरफेर के आरोपों के बाद, तत्कालीन सरकार ने आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा जांच का आदेश दिया था, जिसने पुलिस भर्ती सेल के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें इसके तत्कालीन प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अमृत पॉल और बड़ी संख्या में परीक्षा देने वाले उम्मीदवार भी शामिल थे. सरकार ने परीक्षा के नतीजे भी रद्द कर दिए थे और दोबारा परीक्षा कराने का फैसला किया था. 


किन सवालों के जवाब ढूंढेगा न्यायिक आयोग?


कर्नाटक सरकार का न्यायिक आयोग इस भर्ती प्रक्रिया में पैदा हुआ इन 4 सावलों के जवाब ढूंढेगी. 


1. क्या 545 पीएसआई की भर्ती की प्रक्रिया के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया था? 


2. उल्लंघन या अवैधताएं क्या थीं और वे किस स्तर पर की गईं? 


3. वे कौन लोग हैं जिन्होंने अवैध कार्यों से अनुचित लाभ प्राप्त किया? 


4. पीएसआई भर्ती परीक्षा को नियमानुसार और पारदर्शी तरीके से आयोजित करने के लिए सरकार क्या उपाय कर सकती है?


कर्नाटक सरकार के आदेश में सीआईडी और पुलिस भर्ती विंग को न्यायिक आयोग को मामले से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी और हर संभव सहयोग देने को कहा है. इसके अलावा, डीजी और आईजीपी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि आयोग को आवश्यक सुविधाओं और कर्मचारियों के साथ बेंगलुरु में एक ऑफिस भी उपलब्ध कराया जाए. 


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