Joshimath Rain Alert: उत्तराखंड के चमोली जिले में बसा जोशीमठ जो हाल के महीनों में जमीन धंसाव के कारण काफी चर्चाओं में रहा. आज वही जोशीमठ एक बार फिर चर्चा में है. उत्तराखंड में हो रही आफत की बारिश ने जोशीमठ में रह रहे लोगों की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ा दी है.


इसी साल जनवरी में जोशीमठ में मकानों में दरारें पड़ना शुरू हुई थी तब सरकार की ओर से लोगों को यहां से राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया. तब सरकार ने प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की बात भी कही थी. लोगों की सबसे बड़ी परेशानी है कि लोगों को मुआवजा राशि से बेहद कम मिला है. जबकि प्रशासन का कहना है लोगों को उनकी ज़मीन और मकान के हिसाब से सरकार की ओर से तय किया गया मुआवजा दिया गया है. 


जोशाीमठ में लोगों को मुआवजा भी मिला लेकिन कुछ दिनों बाद हालात कुछ समय के लिए सामान्य होता देख लोग एक बार फिर इन्हीं घरों में वापस लौट आए. पूरे घर में बड़ी-बड़ी दरारों और जमीन धंसने की संभावनाओं के बीच लोग इन्हीं बेहद खतरनाक हो चले घरों में रह रहे हैं. जो घर किसी के रहने के लिये पहले से ही खतरनाक स्थिति में थे उस घर की हालत बारिश के पानी ने और भी ज्यादा बिगाड़ दी है. बारिश के बाद से घरों की दरारें और भी ज्यादा बढ़ने लगी है. जमीन भी तेजी से धंसने लगी है. स्थिति ऐसी है मानों मकान की छत कभी भी सिर के ऊपर गिर आये. 


स्थानीय लोगों ने सुनाई आपबीती 
स्थानीय महिला सुमित्रा रावत ने बताया कि उनके घर में एक बड़ा परिवार रहा करता था लेकिन जब घर में दरारें आयी तो प्रशासन ने उन्हें कहीं और शिफ्ट करवा दिया. पूरा परिवार अब जोशीमठ में ही किराये के घर पर रहता है लेकिन सुमित्रा रोजाना अपने इसे उजड़ते मकान की देखभाल करने सुबह ही पंहुच जाती है. अपनी आपबीती बताते हुये सुमित्रा की आंखों से आंसू बहने लगे. वो कहती हैं कि इस घर से उन्होंने 2-2 बेटियों की शादी की है. इस घर से बहुत सारी यादें भी जुड़ी है. ऐसे में घर छोड़ना नहीं चाहती. यही वजह है कि उन्होंने पहले घर की दरारें भरने की कोशिश भी की लेकिन बारिश के बाद ज़मीन इतनी तेज़ी से धंस रही है कि दरारें भरने की जगह बढ़ने लगी है और मकान गिरने का डर और भी ज़्यादा बढ़ गया है. सुमित्रा ने कहा कि उन्हें सरकार से करीबन 25 लाख तक का मुआवजा ज़रूर मिला है लेकिन इतने पैसे में मकान कैसे बनेगा. क्योंकि जमीन भी खरीदनी है और मकान भी बनाना है. सुमित्रा कहती हैं कि सरकार को मुआवज़े की रक़म बढ़ानी चाहिये, ये नाकाफी है.


यहां रहने वाले सकलानी परिवार की तस्वीर भी यही बयां कर देती है. उन्होंने बताया कि सरकार ने 8 लाख का मुआवजा दिया है. इतने कम पैसे में कैसे मकान बनेगा. विनोद सकलानी कहते हैं कि या तो सरकार उनको मुआवज़े की रकम बढ़ा के दे या फिर उसकी जगह खुद से मकान बनाकर दें, नहीं तो वो इस मुआवजे को वापस लौटाने के लिये तैयार है. हालांकि प्रशासन ने फिलहाल रहने के लिये किसी होटल में व्यवस्था की है. बावजूद इसके पूरा परिवार इसी घर में रहता है. घर में रह रही महिला ने कहा कि घर पर सामान भी काफी ज़्यादा है, मवेशी भी रहते हैं और खेती भी है. इसलिअ कामकाज के लिये यहां रहना होता है, लेकिन जब बारिश होती है तो डर बढ़ जाता है. खासतौर पर रात के वक्त ये लोग रहने के लिये होटल में चले जाते हैं जिसका किराया सरकार की तरफ़ से दिया जा रहा है.


बिजली के खंभे गिरने के साथ ही जमीन धंसी
घर पर रह रहे लोगों ने बताया कि प्रशासन की तरफ से ऑर्डर आया है कि जल्द से जल्द घर खाली कर दें वरना जबरन हटाया जाएगा लेकिन इन लोगों की परेशानी ये है कि इतने सामान और मवेशियों के साथ ये किसी और जगह कैसे शिफ़्ट हो. हालांकि घर में रह रहे लोगों ने कहा कि डर काफी ज़्यादा बना हुआ है लेकिन अब इस डर के बीच रहने की आदत ठीक हो गयी है. ऐसे में कही और कोई चारा भी नहीं है, यही वजह है कि हम इस घर में रहने को मजबूर हैं. किराये पर भी आसानी से मकान मिलता नहीं और जिस होटल में प्रशासन की तरफ से रुकवाया जा रहा है, वहां पर ही जगह आसानी से मिलती नहीं, ऐसे में जाएं तो जाएं कहां. 


लोगों ने बताया कि इस रास्ते पर चलना अब बेहद ख़तरनाक हो गया है. बारिश के पानी से लगातार ही जगह धंसने लगी है. ऐसे में रात कि वह इन रास्तों से गुज़रना और भी ज़्यादा मुश्किल हो जाता है. जोशीमठ में रह रहे हैं स्थानीय लोगों ने ये भी बताया कि बारिश के दिनों में और रात-रात भर जागकर निगरानी करते रहते हैं इस बात का डर बना रहता है न जाने कब मकान हो या रास्ता सब कुछ ढह जाएगा. इतना ही नहीं लोगों ने बताया कि बारिश के बाद बिजली का एक खंभा गिर गया. जबकि दूसरा बिजली का पोल भी मकान की तरफ़ झुक गया है. 


ऐसा ही हाल मनोज शाह के घर का भी है. यहां मकान में भी ऊपर से नीचे तक काफी दरारें नजर आयी और घर एक तरफ से धंसता नज़र आया. जब मनोज से पूछा गया कि वो क्यों इस घर में रहने को मजबूर हैं तो मनोज की आंखों से आंसू बहने लगे. उन्होंने कहा कि जिस घर में सदियों से रह रहे है उसे अब कैसे छोड़ दे. मनोज बताते हैं कि अब भले उनकी इस घर के नीचे दबकर मौत हो जाए लेकिन वो घर छोड़कर नही जायेंगे. जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि जो मुआवज़ा सरकार ने तय किया है, उसी हिसाब से लोगों को मुआवज़ा दिया गया है. इसके बावजूद अगर कुछ लोग खतरे जैसे घरों में रह रहे हैं तो वो बेहद गलत है. ऐसे लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित जगहों पर ले जाने की कवायद प्रशासन की तरफ़ से की जा रही है रही है. 


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