![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
यूपी की 14 सीटों पर जंग, अखिलेश के 'खतौली मॉडल' की ढूंढ़ी बीजेपी ने काट?
बीजेपी किसी भी तरह से पश्चिम उत्तर प्रदेश में विपक्ष के जाट और मुस्लिम समीकरण को मजबूत नहीं होने देना चाहती है.
![यूपी की 14 सीटों पर जंग, अखिलेश के 'खतौली मॉडल' की ढूंढ़ी बीजेपी ने काट? Mission 2024 14 seats 35 lakh voters at stak BJP found a solution to the Khatauli Model in Western UP abpp यूपी की 14 सीटों पर जंग, अखिलेश के 'खतौली मॉडल' की ढूंढ़ी बीजेपी ने काट?](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/08/f3a67a1ece204a56f8a108c0cfed1d461678269443281426_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही लगा था. यहां की कुल 14 सीटों में से बीजेपी सात सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी. जबकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो यहां बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज किया था. दिलचस्प बात यह है कि मुस्लिम बहुल सहारनपुर, संभल और रामपुर के अलावा दलित बहुल बिजनौर और नगीना में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था.
पिछले चुनाव में अपने प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सियासी समीकरण साधने में जुट गई है. इस बार पार्टी ने वेस्ट यूपी पर पूरा फोकस किया है.
पार्टी किसी भी तरह से पश्चिम उत्तर प्रदेश में विपक्ष के जाट और मुस्लिम समीकरण को मजबूत नहीं होने देना चाहती है. यही कारण है कि यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा मुजफ्फरनगर में स्नेह मिलन सम्मेलन आयोजित करेगा. इसके माध्यम से बीजेपी मुस्लिमों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है.
वर्तमान में जो रणनीति तय की गई है उसके अनुसार पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलग-अलग लोकसभा सीट में इस सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसमें केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद संजीव बालियान अल्पसंख्यक वर्ग के कई बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करेंगे. इस सम्मेलन में करीब एक लाख लोगों को बुलाया जाएगा.
बीजेपी ने खोज लिया है खतौली मॉडल का काट
बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी जाट मुस्लिम गठजोड़ को नाकाम कर दिया था. लेकिन खतौली के उपचुनाव में मिली हार से पार्टी ने सबक सीखा है. दरअसल साल 2022 में खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे जिसमें पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) से हार गई थी.
आरएलडी के जयंत सिंह ने उस उपचुनाव में दलित, मुसलमान, जाट, गुर्जर समीकरण बनाकर बड़ी जीत की नींव रखी थी. यही कारण है कि मुजफ्फरनगर और आसपास को लेकर भारतीय जनता पार्टी टेंशन में है. पार्टी को दर है कि अगर साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अगर खतौली मॉडल एक बार फिर सफल होता है तो तो यहां नुकसान संभव है.
ऐसे में जानते हैं कि बीजेपी की आखिर वो क्या नीति है जो खतौली मॉडल को सफल होने से रोकेगी.
जनसंपर्क की नई रणनीति
1. सांसद और विधायकों को सौंपा बूथ का जिम्मा- बीजेपी ने सांसदों और विधायकों को बूथ का जिम्मा सौंप दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी ने एक सांसद के जिम्मे 100 बूथ और एक विधायक के जिम्मे 25 बूथ सौंपा है. विधायक इन 25 बूथों पर जाकर लोगों से संपर्क साधेंगे.
केंद्रीय मंत्रियों का भी प्रवास लगाया गया है. केंद्रीय मंत्री संगठन के कार्यक्रमों के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भरकर घर-घर संपर्क अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है.
2. हितग्राहियों से सीधे जुड़ रही सरकार- वेस्टर्न यूपी की कमान राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद संभाल ली है. वर्तमान में राज्य में सरकार की जितनी भी योजनाएं चल रहीं हैं, उन सबका फ़ीडबैक लिया जा रहा है. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे जनता से जुड़ रहे हैं और उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में बता रहे हैं.
इसके अलावा प्रदेश संगठन बेहतर कानून-व्यवस्था के साथ सरकार की योजनाओं का लाभ गांव -गांव में लोगों तक पहुँचाने का काम कर रहा है.
पार्टी के अंदर किए जाएंगे बदलाव
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए यूपी के बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि राज्य में लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी में आंशिक बदलाव किए जाएंगे. बता दें कि भूपेंद्र सिंह चौधरी को मार्च 2022 में दूसरी बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में लौटने के बाद अगस्त में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था.
अब समझते हैं कि आखिर बीजेपी का मिशन यूपी 2024 है क्या?
आपने कभी न कभी सुना ही होगा कि केंद्र के सत्ता की कुर्सी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यहां लोकसभा की सबसे ज्यादा यानी 80 सीटें हैं. अगर बीजेपी एक बार फिर देश में अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है कि उनका यूपी में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाना बेहद जरूरी है. हाल ही में हुए बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की मीटिंग में सभी ने 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है.
सीट जीतने के लिए पार्टी ने अपनी रणनीति में क्या क्या बदलाव किए हैं
यूपी में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जो सबसे बड़ा बदलाव किया गया है वह है राज्य इकाई में बदलाव. बीजेपी राज्य इकाई में फेरबदल करने जा रही है. सबसे पहले तो यहां दो पद पहले से खाली हैं उसे भरा जाएगा. उसके बाद कुछ अन्य पदों पर भी नियुक्ति की जाएगी. संगठन में काम करने वाले कुछ नेताओं को प्रमोशन भी हो सकता है.
राज्य में कई ऐसे मंत्री हैं जो संगठन का पद लेकर भी बैठे हैं. इन नेताओं के पद पर नए लोगों को भी जिम्मेदारी दी जाएगी.
जिला और महानगर स्तर पर नगर निकाय को भी फोकस में रखते हुए पार्टी 40 से ज्यादा जिलों में अध्यक्ष बदले जा सकते हैं. वर्तमान में 31 महानगरों में अध्यक्ष का बदलना तय माना जा रहा है. जिसमें से ज्यादातर जिले पूर्वांचल और यादवलैंड के हैं, जहां 2022 में बीजेपी को करारी हार मिली थी.
बीजेपी ने गुजरात में पन्ना समितियों के सहारे बड़ी जीत हासिल की थी. अब पार्ट यूपी में भी यही प्रयोग करने जा रही है. बूथ लेवल पर पार्टी को अधिक मजबूत करने के लिए पार्टी पन्ना समितियों का गठन कर सकती है. पहले पन्ना प्रमुख बनाए जाते थे अब समितियां बनाई जाएंगी.
क्या होता है पन्ना समिति
इस समिति का निर्माण मतदाता सूची के एक पेज यानी पन्ने पर जितने वोटर्स के नाम दर्ज हैं उन तक पहुंचने और अपनी बात घर घर तक पहुंचाने के लिए किया जाता है. अगर पन्ना समितियों का गठन होता है, तो ब्लॉक स्तर पर पार्टी के संगठन को और बड़ा करना पड़ेगा.
2024 के लिए वेस्ट यूपी में बड़ा जाट दांव
बीजेपी ने यूपी में जाट कार्ड तब ही खेल दिया था जब वहां भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष का पद सौंपा गया. भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाने का बड़ा कारण वेस्ट यूपी की 7 लोकसभा सीटें अपने नाम करना है जिसे 2019 के चुनाव में बीजेपी ने गंवा दिया था. दरअसल उस वक्त जाट समुदाय आरक्षण को लेकर वहां के मतदाता पार्टी से नाराज थे.
मिशन 2024 के लिए 3 लेयर की रणनीति तैयार
सूत्रों की मानें तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी जीत के लिए पार्टी ने 3 लेयर में रणनीति तैयार की गई है. पहले लेयर में होंगे केंद्रीय नेतृत्व. इसमें अमित शाह, जे पी नड्डा और बी एल संतोष शामिल रहेंगे. ये तीनों ही नेता दूसरे राज्य स्तर के नेताओं के मिलेंगे और काम करेंगे.
दूसरे लेयर में होंगे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, पार्टी महासचिव धर्मपाल सैनी. इस लेयर में अन्य राज्यों के बड़े चेहरे और पार्टी के पदाधिकारी भी होंगे. ये सारे एक साथ मिलकर पार्टी द्वारा तय की गई रणनीति को जमीनी स्तर पर लागू कराने पर काम करेंगे. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा क्षेत्रों में एक लाख 70 हजार से ज्यादा बूथ हैं और बीजेपी के सर्वे में 22 हजार बूथ ऐसे हैं जिसपर पार्टी की पकड़ कमजोर है. ये बूथ खासतौर से यादव, जाटव और मुस्लिम बहुल हैं.
यादवलैंड और पूर्वांचल में किसकी पकड़ मजबतूत , वेस्टर्न यूपी में जमीन खिसकी
पूर्वांचल के साथ ही यादवलैंड में भी सपा काफी मजबूत होकर उभरी है, लेकिन वेस्टर्न यूपी में पार्टी की जमीन खिसक चुकी है. वेस्टर्न यूपी के 27 लोकसभा में से सिर्फ 3 सीटें सपा के पास है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)