केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में 10 'जनगणना संचालन निदेशक' नियुक्त कर दिए. इन अधिकारियों को सिक्किम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, गुजरात (दमन दीव और दादरा और नगर हवेली), तमिलनाडु (पुद्दुचेरी) और भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय (ओआरजीआई) में नियुक्त किया गया है. 


राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को जनगणना संचालन के निदेशक या नागरिक पंजीकरण के निदेशक के रूप में जनगणना संचालन के विभिन्न निदेशालयों में रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त, भारत के कार्यालय के तहत केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त करते हैं. हालांकि सरकार ने अभी तक जनगणना शुरू करने के लिए नई तारीखों की घोषणा नहीं की है. कोविड-19 महामारी के कारण यह प्रक्रिया 2020 से रुकी हुई है. 


गृह मंत्रालय ने जनगणना नियम 1990 में भी संशोधन किया है ताकि दशकीय जनगणना अभ्यास के दौरान कागज और इलेक्ट्रॉनिक रूप में डेटा संग्रह की अनुमति दी जा सके. जनगणना (संशोधन) नियम 2022 के अनुसार, खंड "इलेक्ट्रॉनिक रूप" के प्रयोजनों के लिए वही अर्थ होगा जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उप-धारा (1) के खंड (आर) में दिया गया है. (2000 का 21) और "स्व-गणना" का अर्थ स्वयं उत्तरदाताओं द्वारा जनगणना अनुसूची को भरना, पूरा करना और प्रस्तुत करना है. 


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