भंडारा: महाराष्ट्र के भंडारा में एक अस्पताल में लगी आग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस की जांच में पता चला है कि अस्पताल में करीब 21 मिनट तक बच्चे धुएं की वजह से चिल्लाते रहे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए कमरे में नहीं आया. पुलिस को इस बात का पता सीसीटीवी फुटेज देखकर लगा है. इस त्रासदी में 10 नौजात बच्चों की मौत हो गई थी. हालांकि स्थानीय पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है.


पुलिस का कहना है कि उन्हें फॉरेंसिक डिपार्टमेंट से कुछ रिपोर्टों का इंतजार है. हालांकि, एफएसएल ने पुलिस द्वारा मिली डीवीआर से एक सीसीटीवी फुटेज को रिट्रीव किया है, जिसमें पूरी घटना साफ साफ दिखाई दे रही है. सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, घटना रात के लगभग 1:40 बजे हुई. यह सीसीटीवी फुटेज उस कमरे का है, जहां पर 10 बच्चों की जलकर मौत हो गयी थी.


सीसीटीवी में फुटेज के साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड होता था


सीसीटीवी के मुताबिक करीब 21 मिनट तक बच्चे धुएं की वजह से चिल्लाते रहे, लेकिन कोई भी उन्हें बचाने के लिए उस कमरे में नहीं आया और ना ही अस्पताल का कोई भी कर्मचारी उस कमरे में मौजूद था. सीसीटीवी में फुटेज के साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड होता था, जिसमें करीब 21 मिनट तक मासूम बच्चे धुंए की वजह से चिल्लाते सुनाई दे रहे हैं. सूत्रों की माने तो कलीना स्तिथ डायरेक्टर ऑफ फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल की गंभीर लापरवाही की तरह इशारा किया है. जिसके बाद भंडारा पुलिस ने कुछ और डीवीआर उन्हें भेज कर कुछ सवालों के जवाब मांगे हैं.


इस घटना के बाद भंडारा पुलिस ने अस्पताल के तीन डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर यानी कि डीवीआर कलीना एफएसएल भेजा था. पुलिस को SNCU के अंदर और बाहर के सीसीटीवी कैमरा के फुटेज चाहिए थे, जहां पर 10 नवजात बच्चों की जान चली गई थी. फोरेंसिक डिपार्टमेंट को एक डीवीआर से डेटा यानी कि सीसीटीवी फुटेज प्राप्त करने में कामयाबी हासिल हुई है. यह वीडियो एसएनसीयू के अंदर का है, जिसमें साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि जब कमरे में आग लगी तब कमरे के अंदर 21 मिनट कोई नहीं दिखाई दिया.


जिस वक्त आग लगी उस समय नर्स अपने नर्सिंग स्टेशन से गायब थीं 


महाराष्ट्र पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि एफएसएल द्वारा मिली सीसीटीवी रिपोर्ट के मुताबिक, यह बात तो साफ है कि जिस वक्त आग लगी उस समय नर्स अपने नर्सिंग स्टेशन से गायब थीं और अस्पताल के दूसरे स्टाफ को आग लगने की जानकारी लगभग आग लगने के 21 मिनट बाद पता चली. नर्स का उनके काम करने की जगह पर उपस्थित ना रहना अस्पताल की लापरवाही साबित करता है. इस मामले में एफएसएल अपनी दूसरी रिपोर्ट इस हफ्ते के आखिर तक सबमिट कर सकता है.


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