Mirwaiz Umar Farooq: जम्मू कश्मीर में एक और अलगाववादी नेता सरकार और प्रशासन के निशाने पर आ गया है. दरअसल, प्रतिबंधित हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक पर जम्मू कश्मीर के एंटी करप्शन ब्यूरो ने संगीन धाराओं में जमीन हड़पने और अवैध कब्जे के आरोप लगाते हुए केस दर्ज कर लिया है. मीरवाइज़ और उनके जीजा समेत 7 लोगों पर कस्टोडियन भूमि हड़पने और साजिश के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने आपराधिक मामला दर्ज कर छानबीन शुरु कर दी है.


दरअसल, कस्टोडियन संपत्ति जिसको इवोक्यू और निष्क्रांत संपत्ति भी कहा जाता है, ये संपत्ति जम्मू कश्मीर के उन मुस्लिमों की है जो आज़ादी के समय भारत-पाक विभाजन या फिर उसके कुछ सालों बाद पाकिस्तान या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जाकर बस गए थे. वहीं, जम्मू-कश्मीर में उनकी छोड़ी संपत्ति की देखभाल के लिए जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने कस्टोडियन विभाग का गठन किया है. इस विभाग के तहत निष्क्रांत संपत्ति को निर्धारित नियमों के तहत स्थानीय नागरिकों में आवंटित किया जाता है.


खासतौर पर उन लोगों में जो इस संपत्ति के असली मालिकों के रिश्तेदार हैं या फिर पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर से आए नागरिक जिनके पास यहां कोई संपत्ति नहीं थी. 


उमर फारुख के जीजा पर ACB ने कसा शिकंजा


इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने मीरवाइज उमर फारूक के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम - 2006 और सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़खानी करने, किसी दूसरे की भूमि पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा करने के धाराओं के तहत इस महीने की 10 तारीख को केस दर्ज किया गया है. इस मामले में कस्टोडियन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मियों को भी आरोपी बनाया गया है. वहीं, आरोपियों में मीरवाइज मौलवी उमर फारूक का बहनोई माजिद द्राबु का भी नाम शामिल हैं.


अधिकारियों के अनुसार, एक शिकायत के आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने डा अब्दुल माजिद सोफी की पत्नी दिल-रफीका के खिलाफ जांच शुरू की थी. महिला पर कस्टोडियन विभाग ने समर्थ प्राधिकरण की अनुमति के बिना और बिना सार्वजनिक बोली के निष्क्रांत भूमि आवंटित किए जाने की बात थी. यह आबंटन गैर कानूनी तरीके से किया गया है इस आरोप के बाद विभाग ने प्राथमिक जांच में शिकायत को सही पाया. 


ACB की जांच में हुए कई बड़े खुलासे


जब विभाग ने आगे जांच की तो पता चला कि हजरत बल दरगाह के साथ सटे सदरबल-नगीन इलाके में इमामुदीन नामक एक व्यक्ति से जुड़ी निष्क्रांत भूमि है. जबकि, इमामुदीन 1947 में पाकिस्तान चले गए थे और कश्मीर में (सर्वे संख्या-640) की उनकी इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा दिल रफीका को आवंटित किया गया.


इसके अलावा इमामुदीन की जमीन में से 7 कनाल 19 मरला व 97 वर्ग फुट जमीन दिल रफीका के अलावा माजिद खलील अहमद द्राबु, मोहम्मद अमीन खान, अब्दुल मजीद बट, काजी बिलाल अहमद और उमर फारूक को नियमों की अनदेखी कर आवंटित कर दी गई. वहीं, माजिद खलील द्राबु रिश्ते में मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के जीजा हैं.


कस्टोडियन और राजस्व विभाग की थी मिलीभगत- ACB


इस दौरान एसीबी के अधिकारियों को जांच में पता चला है कि कस्टोडियन और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मियों की लाभार्थियों के साथ मिलीभगत थी. इसलिए उन्होंने न नियमों का पालन किया और न निष्क्रांत संपत्ति पर गैर कानूनी कब्जे को रोकने के लिए कोई कदम उठाया. इससे पता चलता है कि उन्होंने भी इसमें माल कमाया है और पूरे केस में सरकारी खजाने को लाखों रुपये का चूना लगा है.


IPC की धारा-120B के तहत दर्ज हुई FIR


गौरतलब है कि जिस इलाके में यह जमीन है, वहां एक कनाल की मार्केट वैल्यू 4 से 5 करोड़ रुपए है. सभी आरोप सही पाए जाने के बाद ही एसीबी ने इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. पूरे मामले की जांच का जिम्मा डीएसपी रमीज राजा को सौंपा गया है.


हालांकि, इस मामले में अभी तक मीरवाइज़ उमर फारुक या उनके जीजा या फिर किसी और आरोपी का पक्ष सामने नहीं आया है, लेकिन मामला दर्ज होने के बाद अब मुमकिन है कि सरकारी नियमों के तहत प्रशासन इन जमीनो और उस पर बने निर्माणों को अपने कब्जे में ले लेगा.


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