चीन से चल रहे सीमा-विवाद के बीच भारतीय सेना की 'शत्रुजीत' ब्रिगेड इन दिनों पूर्वी लद्दाख में एक एयरबॉर्न युद्धाभ्यास कर रही है. '50 इंडीपेंडेंट पैरा ब्रिगेड' की इसी एक्सरसाइज में दुश्मन की सीमा में आसमान के रास्ते घुसकर हमला करने की ड्रिल की जा रही है. इसके लिए वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और अमेरिका के विशेष पैराशूट की मदद ली जा रही है.
भारतीय सेना के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, शत्रुजीत ब्रिगेड पूर्वी लद्दाख में उत्तरी (चीन) सीमाओं के करीब दुश्मन के हमले का तेजी से जवाब देने के लिए 'एयरबोर्न इन्सर्शन' यानि हवाई मार्ग से युद्धक्षेत्र में दाखिल होने का अभ्यास कर रही है, जो एयरबोर्न एक्सरसाइज़ और कॉम्बेट मैन्युवर का हिस्सा है.
14 हजार फीट की उंचाई पर शुरू हुआ युद्धभ्यास
इस युद्धभ्यास की शुरूआत 1 नबम्बर को पूर्वी लद्दाख के हाई ऑल्टिट्यूड क्षेत्र में करीब 14 हजार फीट की उंचाई पर शुरू हुई. इसके लिए पांच अलग अलग माउंटेन बेस से भारतीय वायुसेना के सी-130 जे सुपरहरक्युलिस और एएन-32 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट्स ने पैरा-कमांडोज़ के साथ उड़ान भरी. पैराशूट के जरिए इन कमांडोज़ ने 'बिहाइंड द एनेमी लाइन' क्षेत्र में उतरने का अभ्यास किया.
शत्रुजीत के इस वॉर-गेम में पैराशूट के जरिए ही कमांडोज़ के हथियार, मिसाइल और हल्की-गाड़ियों को भी पैराशूट के जरिए ड्रॉप किया गया. सूत्रों ने इस युद्धभ्यास के वीडियो भी जारी किए हैं जिसमें कमांडोज़ पूर्वी लद्दाख के उच्च-पर्वतीय क्षेत्र में उतर रहे हैं एक वीडियो वीडियो में दिखाया गया है कि स्पेशल यूएस पैराशूट के जरिए कमांडोज़ की जीप तक को पैरा-ड्रॉप किया जा रहा है.
'फायर-फ्लाई' के नाम से जाना जाता पैराशूट
हाल ही में अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर सेना की तैयारियों के दौरान इस विशेष पैराशूट को दिखाया गया था. अमेरिका से लिया गया ये स्पेशल पैराशूट दरअसल एक गाईडेट प्रेसेसियन एरियल डिलीवरी सिस्टम है जिसमें एक खास पैराशूट को जीपीएस लोकेटर-बॉक्स से इंटीग्रेट किया गया है. इसे 'फायर-फ्लाई' के नाम से जाना जाता है. अगर कोई हथियार, मिलिट्री हार्डवेयर या फिर कोई जीप भी अगर कही पैरा-ड्रॉप करनी है तो इस खास अमेरिकी 'फायर-फ्लाई' पैराशूट से आसानी से किया जा सकता है.
इस तरह के 'फायर-फ्लाई' पैराशूट की रेंज करीब 28 किलोमीटर होती है और करीब 10 टन का भार उठा सकता है. इसका इस्तेमाल 'बिहाइंड दे एनेमी लाइंस' ऑपरेशन के लिए किया जाता है.
तापमान माइनस (-) 20 डिग्री तक पहुंचा
इस एक्सरसाइज के जरिए भारतीय सेना ने इंटर-थियेटर मूव, सटीक पैरा-ड्रॉप, तेजी से ग्रुपिंग और पहले से तय किए 'ऑब्जेक्ट्स' पर कब्जा जमाना था. सूत्रों के मुताबिक, ये पैरा-ड्रॉप इसलिए भी एक बड़ा चुनौती था क्योंकि सुपर-हाई आल्टिट्यूड क्षेत्रों में इन दिनों तापमान माइनस (-) 20 डिग्री तक पहुंच चुका है. इसके अलावा, पूर्वी लद्दाख में ऑक्सीजन का लेबल भी बेहद कम होता है.
इस युद्धाभ्यास में ऑक्सीजन कॉम्बैट फ्री फॉल जंप और एयरबोर्न फोर्स के साथ साथ मैकेनाइज्ड कॉलम यानि टैंक और आईसीवी व्हीकल्स के साथ अटैक हेलीकॉप्टरों द्वारा इंटीग्रेटेड बैटल-ड्रिल्स का परीक्षण किया गया.
आपको बता दें कि हाल के दिनों में चीन की पीएलए सेना ने एलएसी से सटे सभी इलाकों में युद्धाभ्यास काफी तेज कर दिए हैं. इसके अलावा पैट्रोलिंग भी काफी बढ़ा दी है और पीएलए आर्मी के टॉप कमांडर लगातार लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) का दौरा कर रहे हैं. ऐसे में भारतीय सेना भी पूर्व लद्दाख से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक अपना सैन्य तैयारियां मजबूत कर रही है. थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने भी कहा था कि चीनी सेना एलएसी से सटे इलाकों में स्थायी तौर से तैनाती कर रहे हैं. ऐसे में भारतीय सेना को भी एलएसी के करीब स्थायी तौर से डिप्लोय की जाएगी.
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