Presidential Election 2022: भारत के 15वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव कार्यक्रम का आज चुनाव आयोग एलान करेगा. इसके बारे में दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में प्रेस कांफ्रेंस की जाएगी. नए राष्ट्रपति को 25 जुलाई तक शपथ लेनी है. 2017 में 17 जुलाई को चुनाव हुआ था. लोक सभा, राज्य सभा और विधान सभा के सदस्य मिल कर राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचन मंडल बनाते हैं.


संविधान के अनुच्छेद 62 का संदर्भ देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए चुनाव उससे पहले संपन्न होना चाहिए. राष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के अलावा सभी राज्य के विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधानसभा के सदस्य वोट डाल सकते हैं.


आज होगा चुनाव की तारीख का एलान 


राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभाओं के मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है. ऐसे ही, राज्यों के विधान परिषदों के सदस्यों को भी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं है. गौरतलब है कि 2017 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 17 जुलाई को हुआ था और मतगणना 20 जुलाई को हुई थी.






776 सांसद ( मनोनीत को छोड़ कर ) और विधान सभा के 4120 विधायकों से निर्वाचन मंडल बनता है.  कुल मूल्य 10,98,803 है. एनडीए बहुमत के आंकड़े से मामूली दूरी पर. अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए एनडीए को बीजेडी और वायएसरआरसी के समर्थन की आवश्यकता होगी.


रामनाथ कोविंद 65.35% मत मिले थे. एनडीए की कोशिश होगी कि इस बार भी यह आंकड़ा छू पाए. पीएम मोदी ओडीशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेडडी से मिल चुके हैं. समझा जाता है कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के लिए पीएम ने समर्थन मांगा है. हालांकि ये दोनों नेता चाहते हैं कि पहले एनडीए उम्मीदवार का नाम सामने आए फिर समर्थन पर फैसला होगा.


कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव?


इन चुनावों में देश की जनता प्रत्यक्ष रूप से मतदान नहीं करती. जनता के द्वारा चुने गए सांसद और विधायक मतदान इन चुनावों में भाग लेते हैं. इन चुनावों में राज्यसभा सासंद, लोकसभा सांसद और विधायकों को वोट देने का अधिकार होता है. हालांकि, विधान पार्षदों और नामित व्यक्तियों को वोट करने का अधिकार नहीं होता.


राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते वक्त विधाय और सांसद अपने बैलेट पेपर पहले ही बता देते हैं. इसमें वो अपनी पहली पसंद, दूसरी पसंद और तीसरी पसंद का जिक्र करते हैं. इसके बाद पहली पसंद के वोट गिने जाते हैं. अगर पहली पसंद का उम्मीदवार जीत के लिए जरूरी वेटेज हासिल कर लेता है तो उसकी जीत हो जाती है वहीं अगर ऐसा नहीं होता तो दूसरी और फिर तीसरी पसंद का वोट गिना जाता है.


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