Economic liberalisation: हिंदुस्तान आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. हमारे देश को अंग्रेजी हुकूमत से मिली स्वतंत्रता का यह 75वां साल है. इन 75 सालों के दौरान आजाद भारत में सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक तीनों ही मोर्चों पर बड़े फैसले लिए गए हैं. ऐसा ही एक फैसला आर्थिक क्षेत्र में 1991 में लिया गया था. जिसे भारत में आर्थिक क्षेत्र  के लिए महान फैसला माना जाता है. अपने इस आर्टिकल में हम भारत के तस्वीर बदल देने वाले इस 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बारे में बात करेंगे-


1991 की आर्थिक उदारीकरण की नीति-


1990 में भारत में आए आर्थिक संकट का सामना करने के लिए तत्कालीन सरकार ने 24 जुलाई 1991 को नई आर्थिक नीति की घोषणा की.इस दौरान भारत के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और वित्त मंत्री डॉ.मनमोहन सिंह थे. इस आर्थिक नीति को उदारीकरण,निजीकरण और वैश्वीकरण(एल.पी.जी) की नीति कहा गया.


उदारीकरण,वैश्वीकरण और निजीकरण नीति से क्या बदला-


इस नीति से भारतीय बाजार को दुनियां के लिए खोल दिया गया. इससे भारत में निवेश के साथ -साथ रोजगार के नए अवसर पैदा होने लगे. इस नीति में उद्योग और व्यापार के के लिए लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को उदार कर दिया गया. सरकार का सार्वजनिक उद्योगों में हस्तक्षेप कम हो गया और देश की अर्थव्यवस्था विश्व की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार,पूंजी और तकनीक के जरिए जुड़ गई.


इस नीति की वजह से देश में बड़े पैमाने पर निवेश आने लगा. जिससे ना सिर्फ भारत में पैसे का प्रवाह होने लगा बल्कि यहां के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होने लगे. आज अनगिनत विदेशी कंपनियां भारत में है. उनमें ना जाने कितने ही भारतीय नौकरी करते है. 1991 की नीति ने भारत की आर्थिक संवृद्धि में योगदान दिया.


ये भी पढ़ें-


Independence Day 2022: आतंकी कसाब को पकड़ने वाले शहीद तुकाराम, जिनके बाज़ुओं की पकड़ गोलियां लगने पर भी ढीली नहीं पड़ी


Independence Day 2022: जानिए आजाद भारत में लिए गए 10 ऐतिहासिक फैसलों के बारे में,जो देश में लेकर आए बड़ा बदलाव