नई दिल्लीः एबीपी न्यूज़ और हिंदुस्तान अखबार ने मिलकर 'हिंदुस्तान पूर्वोदय 2018' कार्यक्रम का आयोजन किया है. 'बढ़ेगा पूरब, लेकर नया नजरिया' टैग लाइन के साथ हो रहे इस कार्यक्रम में पूर्वी भारत की संभावनाओं पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कई विषयों पर चर्चा की और पेट्रोल, डीजल से लेकर महागठंबधन की संभावनाओं पर विस्तार से बात की है.


क्या चुनाव को ध्यान में रखकर घटाए गए पेट्रोल, डीजल के दाम
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 5 राज्यों के चुनाव तरीखों के एलान से पहले पेट्रोल, डीजल की कीमतों में कमी करने का जो फैसला लिया गया है उसके पीछे चुनाव को ध्यान में नहीं रखा गया है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों के चलते सरकार के ऊपर काफी दबाव था. सरकार ने 2.5 रुपये और बीजेपी शासित राज्यों ने भी 2.5-2.5 रुपये की राहत देकर लोगों को दामों में 5 रुपये की राहत दी है लेकिन अन्य पार्टियां ये काम नहीं कर रही हैं. तेल पर 50 फीसदी हिस्सा राज्यों के टैक्स के रूप में लिया जाता है और राज्यों को ईंधन के दामों में टैक्स कम करने का खुद फैसला लेना चाहिए ताकि लोगों को राहत दी जा सके.


पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसमें राज्यों की सहमति न मिलने के कारण इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है. सभी राज्यों को इस पर अलग-अलग चिंताएं हैं और राज्य जीएसटी लागू होने के आरंभिक दिनों में इस पर फैसला नहीं ले पाए क्योंकि इससे राज्यों के रेवेन्यू में एकदम से कमी आ जाती. वहीं ये सवाल भी उठा कि दिल्ली क्यों तय करे कि झारखंड में कितना टैक्स दिया जाए या कोई भी राज्य जीएसटी में लाए जाने के ऊपर भारत सरकार चाहे तो भी फैसला नहीं ले सकती है. दो तिहाई सहमति होने के बाद ही इस पर फैसला लिया जा सकता है.


महंगाई को कम किया
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमको विरासत में महंगाई दर दहाई अंकों के ऊपर मिली थी लेकिन आज महंगाई दर 4 फीसदी और उसके आसपास बनी हुई है. इस बात की चर्चा क्यों की नहीं जाती. जब सरकार ने सत्ता संभाली थी तो देश का घाटा उच्च स्तर पर था जिसे मोदी सरकार ने कम करने का काम किया है.


केंद्र सरकार राज्यों को दे रही है ज्यादा पैसा
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि जबसे केंद्र में मोदी सरकार आई है हमने राज्यों को ज्यादा पैसा दिया है और आज आने वाले रेवेन्यू में से 60-40 का रेश्यो रखा जाता है. इसके जरिए राज्यों को ज्यादा पैसा दिया जाता है ताकि राज्य अपने यहां कल्याणकारी योजनाओं को पूरा कर सकें.


उज्जवला योजना पर की बात
उज्जवला प्रोजेक्ट में सरकार ने देश के गरीबों को धुएं से राहत दिलाकर गैस के चूल्हे से मुक्ति दिलाई. 5 करोड़ 60 लाख नए एलपीजी कनेक्शन उज्ज्वला में लगाए हैं और आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक एक कनेक्शन पर औसत खपत 4 लोगों की है. 900 रुपये में से 400 रुपये सब्सिडी लौटकर आ जाती है और लोगों को 500 रुपये में सिलिंडर मिल रहा है. गरीब परिवार साल में 4 सिलिेंडर ले रहा है इस तरह उस पर ज्यादा बोझ भी नहीं पड़ रहा है. झारखंड और यूपी में खासतौर पर इस उज्ज्वला प्रोजेक्ट से महिलाओं को फायदा पहुंचा है जहां अंगीठी पर खाना बनता था. मोदी सरकार की इस योजना से महिलाओं को बेहद आसानी हुई है. उज्जवला स्कीम से दलित वर्ग की बहनों, आदिवासी वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग की बहनों को बड़ा फायदा मिल रहा है. बीजेपी ने सबके साथ, सबके विकास की परिकल्पना के तहत सबको समान अधिकार देने की कोशिश की है.


गिव इट अप स्कीम
गिव इट अप भी पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार ने लोगों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी और 19.5 करोड़ लोगों में से 1.5 करोड़ लोगों ने ही सिर्फ सब्सिडी छोड़ी है. लोगों को इस सवाल के बारे में सोचना चाहिए कि क्या संपन्न लोगों को सब्सिडी मिलनी चाहिए. संपन्न लोगों को सब्सिडी क्यों मिले इस सवाल का जवाब नहीं मिलता.


जीएसटी
जीएसटी के बाद देश के टैक्स कलेक्शन के यूनिट और रेवेन्यू प्रतिशत दोनों में इजाफा हुआ है, इस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए. सरकार ने काफी कोशिशों के बाद जीएसटी को लागू करने में सफलता हासिल की है.


ओडिशा की राजनीतिक हालत पर की चर्चा
ओडिशा में लोगों के पास बीजेपी के रूप में नया विकल्प है. ओडिशा एक संपन्न राज्य है जहां 450 किलोमीटर का समुद्र का किनारा है, देश के कोयले, आयरन, बॉक्साइट का विपुल खजाना है. अब इस राज्य के लोगों को समझ आ रहा है कि उनके पास संसाधन होते हुए भी उनका सर्वांगीण विकास क्यों नहीं हो पाया. पूर्ववर्ती सरकारों में राज्य के विकास पर पूरा ध्यान नहीं दिया गया. ओडिशा में बीजेपी गठबंधन में रहकर भी तीसरे स्थान की पार्टी बनी रही लेकिन अब सालों से वहां की जा रही मेहनत का नतीजा दिख रहा है. पिछले चुनावों के बाद वहां बीजेपी दूसरे स्थान पर आ गई है और सत्ताधारी पार्टी के प्रति निराशा के कारण लोगों के लिए पीएम मोदी के रूप में नया विकल्प दिख रहा है. देश में पहला ऐसा प्रधानमंत्री आया है जो देश के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी उसी निष्ठा से काम कर रहा है जितना किसी और प्रदेश के लिए. पीएम मोदी ने साफ कहा है कि अगर आज भारत की तिजोरी में किसी का सबसे ज्यादा हक है तो वो पूर्वोत्तर के राज्यों का है. बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, पूर्वोत्तर के राज्यों को उनका वो हक मोदी सरकार दे रही है जो अब तक की सरकारों ने नहीं दिया.


पीएम मोदी के चुनाव लड़ने पर कही ये बात
पीएम चुनाव कहां से लड़ेंगे इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस पर बीजेपी की कार्यकारिणी फैसला करेंगी, ओडिशा की जनता का भरोसा बीजेपी पर बढ़ रहा है और 2019 की सरकार में पूरब के रथ पर चढ़कर सरकार वापस सत्ता में लौटेगी. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी. एमपी में राहुल गांधी धुआंधार प्रचार करते दिख रहे हैं और भक्ति का सहारा लेते दिख रहे हैं तो इससे बीजेपी को दिक्कत नहीं होने वाली है क्योंकि बीजेपी चुनाव के आधार पर धार्मिक एजेंडा नहीं खेलती.


धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कर्नाटक में जनमत हमें ही मिला, हम सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे लेकिन राज्य में सरकार जोड़तोड़ से बना ली गई. सत्ता के लोभ की लड़ाई में विपक्ष किसी सिद्धांत पर काम नहीं करता, सिर्फ गद्दी हासिल करने के सिद्धांत को लेकर चलता है और महागठबंधन इसी का नतीजा हो सकता है.


पेट्रोल, डीजल पर महंगाई की बात तो की जा रही है लेकिन दालों, सरसों, तेल, गेहूं के दामों में जो कमी आई है उसको लेकर मीडिया बात नहीं कर रहा है. इस पर भी ध्यान दिलाया जाना चाहिए. सरकार ने फसलों का एमएसपी बढ़ाया है और इसी को लेकर किसान खुश हैं इस बात को भी जानना चाहिए कि किसानों से किए गए वादों को मोदी सरकार पूरा कर रही है. पहली बार चीन को गैर-बासमती चावल भेजा जा रहा है और इसके पीछे वजह यही है कि देश की कृषि उपज बढ़ रही है जिसका फायदा अंततः लोगों को ही मिलेगा.


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