नई दिल्ली: देशभर में बालिका शिक्षा की दर शुरू से ही काफी कम रही है, जिसमें सुधार और बच्चियों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार समय-समय पर योजनाओं का क्रियान्वयन करती रहती है. इसी के चलते साल 2006-07 में भारत सरकार ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की शुरुआत की थी.


देश में लड़कियों की पढ़ाई को सामजिक, आर्थिक और घरेलु मुद्दों के साथ ही और भी कई तरह के कारण के चलते बीच में ही रोक दिया जाता है. इसके अलावा बालिकाओं की गिरती शिक्षा दर पिछड़े वर्ग में बहुत ही ज्यादा देखी गई है. जिसके कारण इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) की शुरुआत की.


इसके तहत बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं आवसीय विद्यालयों की एक लंबी श्रृंखला भी बनाई गई. जिसके तहत देश में कुल 750 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) खोले जाएंगे. इन विद्यालयों में छात्राओं को 12वीं तक की शिक्षा प्रदान की जाती है. जिसमें उन्हें हॉस्टल की भी सुविधा दी जाती है. केंद्र और राज्य सरकार कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के तहत 75:25 के अनुपात में खर्च उठाती हैं.


योजना का उद्देश्य


कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना को सर्वशिक्षा अभियान के तहत शुरू किया गया है. इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति /जनजाति / पिछड़े वर्ग/अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों को प्राथमिकता दी जाती है. इस योजना के तहत बच्चियों की शिक्षा के साथ ही उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था की जाती है.


इस योजना के तहत बच्चियों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा का वातावरण उपलब्ध कराया जाता है. इस योजना के जरिए पिछड़े वर्ग की बच्चियों को भी पढने लिखने का अवसर मिल पा रहा है. उन गरीब परिवार की बच्चियां जो गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो गई थी, उन्हें इस विद्यालय से पढ़ने में सहायता मिल रही है.


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