नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगना तय हो गया है, राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी रिपोर्ट भेज दी है. इस रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के तहत राज्यपाल शासन लगाने की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट भेजने से पहले राज्यपाल ने प्रदेश की सभी बड़ी पार्टियों के साथ सलाह मशविरा किया. आज दोपहर में बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में महबूबा सरकार से अपना समर्थन वापल ले लिया.


इसके बाद महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना, बीजेपी विधायक दल के नेता कवींद्र गुप्ता ने आज राज्यपाल को फैक्स के जरिए समर्थन वापस लेने की जानकारी दी. राज्यपाल ने वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उन्हें सीएम का कार्यभार संभालने को कहा है.


बीजेपी ने समर्थन क्यों वापस लिया?
बीजेपी के पीडीपी से अलग होने के पीछे तीन बड़ी वजह सामने निकल कर आई हैं. कश्मीर में खराब होते हालात के लिए बीजेपी ने एक महीने पहले महबूबा सरकार को सावधान किया था. पहली बड़ी वजह है कि सेना के जवान औरंगजेब के हत्यारों को लेकर सेना के पास स्पेसिफिक जानकारी थी  और सेना बड़ा ऑपरेशन चलाना चाहती थी लेकिन महबूबा मुफ्ती तैयार नहीं हुईं. दूसरा पत्रकार शुजात बुखारी हत्याकांड मामले में भी सुरक्षा एजेंसियां स्थानीय इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाना चाहती थीं लेकिन इसकी इजाजत भी नहीं मिली. पिछले कुछ समय से महबूबा सरकार ने आईबी के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान कम दिया था, मांगने पर भी सीमित सूचनाएं ही दी जा रहीं थीं.


कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का सरकार बनाने से इनकार
महबूबा सरकार गिरने के बाद किसी भी दल ने जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने की पेशकस नहीं. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाकर बहुत बड़ी गलती की थी. उन्होंने सरकार बनाने से इनकार कर दिया. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार गठन के सवाल को नकार दिया. इस्तीफे के बाद मीडिया के सामने आईं महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वो किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगी. सभी पार्टियों के इनकार के बाद राज्यपाल शासन का ही रास्ता बचा था.


सख्त नीति संभव नहीं, बड़े मकसद के लिए मिलाया था हाथ: महबूबा मुफ्ती
मीडिया के सामने आईं महबूबा मुफ्ती ने अपनी सरकार की उपल्धियां गिनाते हुए कहा कि यहां सख्त नीति नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए गठबंधन नहीं किया था बल्कि बड़े मकसद के लिए बीजेपी से हाथ मिलाया था. उन्होंने ये भी साफ किया कि अब किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगी. हालांकि इस दौरान महबूबा मुफ्ती बीजेपी पर उतनी सख्त नजर नहीं आईं.


शिवसेना का बड़ा हमला
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अपवित्र गठबंधन को लेकर हमने पहले ही कह दिया था कि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. यह एंटी नेशनल गठबंधन था. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे ख़बर मिली की जम्मू कश्मीर में बीजेपी सरकार से बाहर आ गई है. मैं इसका अभिनंदन करता हूं, लेकिन ये सरकार निकम्मी है ये जानने के लिए आपको तीन साल लग गए. इन तीन सालों में 600 जवान शहीद हुए, उनके बलिदान का क्या?


उमर अब्दुल्ला का समर्थन से इनकार
उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती को समर्थन देने से इनकार कर दिया है. उमर अब्दुल्ला ने कहा मुझे इस फैसले को बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर हमें आश्चर्य है. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है इसलिए राज्यपाल शासन लगना तय है. इसलिए हमने राज्यपाल से मिलकर कहा है कि हम उनका सहयोग करेंगे. लेकिन हमने यह भी कहा कि जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य करने की कोशिश हो, राज्य में नए सिरे चुनाव हों, राज्य की जनता को मौका मिले वो किसे चुनना चाहती है.


कांग्रेस बोली-अच्छा हुआ
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मौजूदा सियासी हलचल पर कहा कि जो कुछ भी हुआ वह अच्छा है. जम्मू-कश्मीर के लोगों को राहत मिलेगी. बीजेपी ने कश्मीर को बर्बाद कर दिया और अब उन्होंने समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी-पीडीपी के तीन साल के शासन के दौरान सबसे अधिक सुरक्षाबलों और कश्मीरी नागरिकों की मौत हुई है.