Covishield Vaccine: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि कोरोनोवायरस वैक्सीन लेने वाले 10 लाख में से केवल 7 से 8 लोगों को थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नाम की बीमारी होने का खतरा होता है. दरअसल,  पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि जिन लोगों को यह टीका लगा है, उन्हें कोई भी खतरा नहीं है.


News18 से बातचीत के दौरान आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि जब आप कोरोनोवायरस वैक्सीन की पहली खुराक लेते हैं तो जोखिम सबसे ज्यादा होता है. लेकिन दूसरी खुराक के साथ यह कम हो जाता है और तीसरी के साथ सबसे कम होता है. यदि कोई दुष्प्रभाव होना है, तो यह शुरुआती दो से तीन महीनों के भीतर आपके शरीर में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगेंगे.


कोविशील्ड से ब्लड क्लॉटिंग बहुत रेयर


गौरतलब है कि, ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने इस बात को माना है कि इसकी कोविड-19 वैक्सीन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं. जबकि, लंदन स्थित अखबार टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने ब्रिटिश हाई कोर्ट में दिए अपने एक बयान में स्वीकार किया है कि बहुत रेयर मामलों में वैक्सीन से ब्लड क्लॉट बन रहे हैं. कंपनी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित की है. जबकि,  एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है.


90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को लगा कोविड 19 वैक्सीन


पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि वैक्सीन के लॉन्च के छह महीने के भीतर, टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था. इस वैक्सीन की समझ में कुछ भी नया बदलाव नहीं है. उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले 10 लाख लोगों में से केवल 7 से 8 लोगों को ही खतरा है. गंगाखेडकर ने कहा कि इसलिए, हम कोविशील्ड वैक्सीन के लाभ का अनुमान नहीं लगा सकते हैं, जिसमें भारतीय आबादी के बीच 90 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को कोविड-19 टीकाकरण दिया गया है.


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