नई दिल्ली: गुजरात चुनाव में बीजेपी की जीत को वित्त मंत्री अरुण जेटली जीएसटी पर जनता की मुहर के तौर पर देख रहे हैं. आपको बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद ये पहला चुनाव था. कारोबारियों की नाराजगी के बीच कांग्रेस ने भी गब्बर सिंह टैक्स कहकर खूब हमला बोला लेकिन अब जब बीजेपी जीत गई है तो बीजेपी इन चुनावी नतीजों को जीएसटी पर मुहर बता रही है.


क्या गुजरात की जनता ने जीएसटी के फैसले पर मुहर लगा दी है? क्या वाकई जीएसटी से होकर ही विकास का रास्ता जाता है? क्या कांग्रेस को जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताना महंगा पड़ा?

ये तमाम वो सवाल हैं जो गुजरात में बीजेपी की जीत के बाद उठ रहे हैं, लेकिन इन सवालों का जवाब खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में दिया. वित्त मंत्री ने कहा, 'देश के विकास का जो रास्ता है वो जीएसटी से होकर गुजरता है. जीएसटी से छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को फायदा है.'

कांग्रेस ने जीएसटी को गुजरात के व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए बड़ा मुद्दा बनाया था. लेकिन चुनावी नतीजे बताते हैं कि इसमें कांग्रेस और राहुल गांधी फेल हो गए. आइये एक नज़र डालें व्यापारी वर्ग के दिए गए फैसले पर.

ये वो चुनाव नतीजों के आंकड़े हैं जिसमें जीएसटी पर व्यापारी वर्ग की सहमति नजर आ रही है:

- सूरत में बीजेपी ने 16 में से 15 सीटें जीती हैं
- अहमदाबाद में बीजेपी ने 21 में से 15 सीटें जीती हैं
- हालांकि 2012 के मुकाबले यहां बीजेपी को दो सीटों का नुकसान हुआ हैं
- राजकोट में बीजेपी को 8 में से 6 पर जीत मिली है
- और वडोदरा में 10 में से 8 सीटों पर कमल खिला है

ये आंकड़े और खुद पीएम मोदी बता रहे हैं कि वो व्यापारियों को जीएसटी के मुद्दे पर मनाने में कामयाब रहे हैं. गुजरात में बीजेपी की जीत को जीएसटी के नजरिए से दूसरी तरह भी समझा जा सकता है. गुजरात का ज्यादातर व्यापारी वर्ग शहरों में रहता है. गुजरात की 182 सीटों में से 84 सीटें शहरी हैं और इसमें बीजेपी को 59 सीटों पर जीत मिली है.

आंकड़ों की मानें तो बीजेपी को जीएसटी से कोई नुकसान होता नहीं दिख रहा है. साथ ही व्यापारी वर्ग जीएसटी के समर्थन में है क्योंकि उन्हें पता है कि अगर जीएसटी में कोई बदलाव होना भी है तो वो केंद्र को ही करना है.