नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. किसान आंदोलन को 4 महीने हो गए, आज आंदोलन का 122वां दिन है. किसानों द्वारा आहूत भारत बंद का इस बार ज्यादा असर नहीं दिखा. सड़क और रेल मार्ग जाम करने को आंदोलनकारियों ने जोर लगाया, मगर बाजारों में यह बेअसर ही रहा. कोई व्यापारिक संगठन इस बंद के समर्थन में नहीं आया. अब आज यानी 28 मार्च को टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने होलिका दहन का कार्यक्रम रखा है. उसी में कृषि कानूनों की प्रतियां भी जलाई जाएंगी.


गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत खुद इन बिलों की प्रतियां जलाएंगे. राकेश टिकैत ने किसानों से आह्वान किया है कि रविवार शाम होलिका दहन के अवसर पर वह जहां भी हों, वहीं कानून की प्रतियां जलाकर सरकार को यह संदेश देने का काम करें कि कृषि कानून हमें मंजूर नहीं हैं.


होली नहीं खेलने का निर्णय
होलिका दहन के लिए बुलंदशहर जिले के भटौना गांव की टीम गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेगी. हालांकि किसान रंग या गुलाल से होली नहीं खेलेंगे बल्कि मिट्टी से एक-दूसरे का टीका करेंगे. सोमवार को किसानों ने रंगों से होली नहीं खेलने का निर्णय लिया है. किसान उस दिन मिट्टी से एक-दूसरे का तिलक करेंगे. किसानों ने यह फैसला आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्घांजलि देने के लिए लिया है. चार माह से नए कृषि कानूनों के विरोध में गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसान होली भी यहीं मनाएंगे.


"जिस दिन किसान नेता चाहें, आंदोलन खत्म हो जाएगा"
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर चार माह से चल रहे आंदोलन के बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि कृषि आंदोलन के नेता जिस दिन चाहेंगे कि रास्ता निकालना है, उसी दिन समाधान हो जाएगा. एक सवाल के जवाब में तोमर ने ग्वालियर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, 'चार महीने से आंदोलन कर रहे किसान नेता जिस दिन चाहेंगे कि रास्ता निकालना है, उसी दिन समाधान हो जाएगा और सरकार भी रास्ता निकाल लेगी. सरकार बातचीत के लिए तैयार है और समाधान चाहती है.'


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