Kisan Andolan 2.0: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत तमाम मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे किसान नेता भले ही रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए एक साथ काम करते दिखे हों लेकिन इनके बीच मतभेद एक बार फिर उभर के सामने आए. पंजाब के बठिंडा में रविवार (10 मार्च) को नेताओं ने आंदोलन के तहत दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक अलग-अलग ट्रेनों को बाधित किया लेकिन एकता की कमी का हवाला देते हुए नेता एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते नजर आए.


इसी तरह का नजारा उस वक्त भी देखने को मिला था जब तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन किया गया था. हालांकि इस आंदोलन का अलग-अलग हिस्सों में ट्रेनों के टाइम टेबल पर असर तो पड़ा, लेकिन सार्वजनिक संबोधन में एसकेएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता एक-दूसरे पर प्रहार करने से पीछे नहीं हटे.


किसने क्या कहा?


भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां) के नेताओं ने कहा कि रेल रोको के समर्थन में सामने आए पांच यूनियनों को एसकेएम (गैर-राजनीतिक) नेताओं जगजीत सिंह दल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा के प्रमुख सरवन सिंह पंढेर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है.


बीकेयू उगराहां गुट के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि चार अन्य यूनियनों ने संयुक्त रूप से 10 जिलों में रेलवे लाइनों को चार घंटे के लिए अवरुद्ध किया लेकिन जब तक उनके नेता एक मंच पर नहीं आते, वे किसी भी तरह से हरियाणा की सीमाओं पर आंदोलन में शामिल नहीं होंगे.


बठिंडा शहर के मुल्तानिया पुल पर प्रदर्शनकारियों की एक सभा को संबोधित करते हुए दल्लेवाल भी पीछे नहीं हटे और उन्होंने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर सभी फसलों की कानूनी गारंटी वाली खरीद की मांग नहीं उठाने के लिए अन्य किसान संघों (एसकेएम) के नेताओं को दोषी ठहराया.


बीकेयू (एकता उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने संगरूर रेलवे स्टेशन पर एक विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि वे पंढेर और डल्लेवाल के कारण रेल रोको में शामिल नहीं हुए हैं.


वहीं, किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, "कल भारत के 6 राज्यों में रेल नाकाबंदी देखी गई. यह हमारा सबसे सफल कार्यक्रम था. जहां तक भविष्य की रणनीति का सवाल है, हम एक बैठक करेंगे. उस बैठक में दोनों मंचों की ओर से रणनीति तय की जाएगी."


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