NEET PG 2021 Counselling: नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग (NEET PG 2021 Counselling) में हो रही देरी के कारण दिल्‍ली के सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) के रेजिडेंट डॉक्टर (Resident Doctor) बीते दिन से हड़ताल (Strike) पर हैं. 09 दिसंबर को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद बीते सप्‍ताह कई दिनों तक चली हड़ताल एक हफ्ते के लिए रोकने का ऐलान किया था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकलने पर डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. 


डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल), सफदरजंग, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और रोहिणी स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर मेडिकल कॉलेज कलावती सरन अस्पताल, एलएनजेपी हॉस्पिटल, जीबी पंत अस्पताल, जीटीबी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल में हिस्सा लिया है. इसका खामियाजा आम मरीजों को झेलना पड़ रहा है. 


इस दौरान सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) में ओपीडी (OPD) और इमरजेंसी सर्विस (Emergency service) भी बंद हैं, जिसका गहरा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है. यहां लगभग 1800 रेजिडेंट डॉक्टरों (Resident Doctors) ने ओपीडी, इमरजेंसी, वॉर्ड, सर्जरी का बहिष्कार कर दिया है. इसकी वजह से मरीजों को दिक्कत हो रही है. एबीपी न्यूज ने ऐसे कई मरीजों और उनके परिवारों से बात की.
 
प्रेमलता को बोन टीबी, इलाज के लिए परेशान पिता और पति


कानपुर से आईं 35 वर्ष की प्रेमलता को बोन टीबी है. वे चल नहीं सकतीं, इसलिए परिवार स्ट्रेचर की मदद से इधर से उधर ले जा रहा है, लेकिन हड़ताल के चलते इलाज नहीं मिल पा रहा है. 17 दिसंबर यानी बीते दिन सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने का समय दिया गया था, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है. प्रेमलता के पिता कृपा गंगा बताते हैं, "मेरी बेटी को इलाज नहीं मिल पा रहा है. अब सोमवार के लिए समय दिया गया है." वहीं, पति गंगा राम कहते हैं,"पत्नी को टीबी के कारण बहुत भयंकर दर्द होता है और इलाज कराने के लिए आए हैं. मजबूरी सामने है मेरे. यहां फ्री इलाज होता है. प्राइवेट में इलाज महंगा होगा, नहीं करवा पाएंगे." मरीज प्रेमलता कहती हैं, "मेरी कमर में बहुत दर्द है, उठ बैठ नहीं पाती हूं. एक महीने से परेशानी है, सफदरजंग में इलाज के लिए कागज गए हैं, लेकिन इलाज नहीं मिल पा रहा है."


बच्ची के इलाज के लिए हरियाणा से आए माता-पिता परेशान


हरियाणा से 6 साल की बच्ची का इलाज करवाने आए माता-पिता अपनी  4 महीने की बच्ची के साथ अस्पताल पहुंचे हैं, लेकिन कोई अटेंड करने वाला नहीं है. पिता की आंखें ये बताते हुए भर आती हैं कि आज की डेट दी गई थी, लेकिन हड़ताल के चलते इलाज नहीं मिल पा रहा है. पिता राजेश कहते हैं, "इलाज के लिए आज सैंपल भी नहीं लिया. हड़ताल के कारण मना कर दिाय. बेटी को बहुत ज्यादा दर्द होता है. ये रोती है, तो मुझे भी बहुत दर्द होता है. बच्ची के पूरे शरीर में सूजन आती है, ना इससे उठा जाता है ना बैठा. ये रात दिन रोती है." मां कविता बताती हैं, "फिलहाल कोई दवा दर्द को कम करने के लिए नहीं बताई है. हम इतने अमीर नहीं हैं कि बच्ची का इलाज कहीं भी करा सकें. छोटे-छोटे बच्चे लेकर मैं यहां पड़ी हूं. इलाज के लिए आज सुबह 8 बजे से इंतजार कर रही हूं."


दोनों किडनी और गॉल ब्लैडर खराब, इलाज के लिए कर रहे इंतजार


मथुरा से इलाज कराने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचे सरदार सुरमेंद्र सिंह के पास जीने के लिए मोहलत बहुत कम है. दोनों किडनी और गॉल ब्लैडर खराब होने के कारण जल्द से जल्द इलाज की जरुरत है, लेकिन हड़ताल के चलते सिर्फ इंतजार कर रहे हैं. परिवार के सामने परेशानी ये कि उनका इलाज आधा छोड़ कर किसी और अस्पताल से इलाज भी शुरू नहीं कर सकते. मरीज सुरमेंद्र सिंह पेशाब की थैली लेकर अस्पताल के मुख्य द्वार पर इलाज का इंतजार कर रहे हैं और जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा, "इलाज नहीं हो पा रहा है, कह रहे हैं कि हड़ताल है. इलाज के लिए अगली डेट भी नहीं मिली है." मरीज के भाई अनिल एबीपी न्यूज को जानकारी देते हुए बताते हैं, "मरीज को दूसरी जगह लेकर नहीं जा सकते हैं. इनकी दोनों किडनी, ब्लैडर खराब है. इस स्तिथि में दूसरे अस्पताल में जाने पर शुरू से ट्रीटमेंट की प्रक्रिया होगी, जब तक इनका समय समाप्त हो जाएगा. इनकी जान पर बन आई है. ये बेमौत मारे जाएंगे. इन्हें बहुत दर्द होता है, सहन नहीं होता है. अगर इन्हें कुछ हो जाएगा, तो कौन जवाब देगा. इनका एक पल का भरोसा नहीं है."


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