लोकसभा के बाद सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल राज्यसभा से भी पास हो गया. इस बिल में गंभीर अपराधों में शामिल आरोपियों के बायोमेट्रिक इंप्रेशन लेने का अधिकार पुलिस को दिया गया है. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इस बिल को राज्यसभा में पेश करते हुए बताया कि इस बिल की जरूरत इस वजह से है क्योंकि हमारे देश में आधे से ज्यादा गंभीर मामलों में अपराधी सिर्फ इस वजह से छूट जाते हैं, क्योंकि सबूतों में कहीं ना कहीं कमी रह जाती है और यह कानून बनने के बाद पुलिस को अपनी जांच को और सबूतों को और पुख्ता करने में मदद मिलेगी.


गंभीर धाराओं वाले मामलों के लिए बिल - शाह
केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा में बिल को पेश करते हुए कहा यह बिल हर मामले के लिए नहीं लाया गया, बल्कि उन मामलों के लिए लाया गया है जहां पर धाराएं गंभीर होती हैं. इस बिल को लाने का मकसद दोषियों को सजा दिलवाने का है ना कि किसी बेगुनाह इंसान को परेशान करने का. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज के समय में ऐसा लगता है कि पुराना कानून पर्याप्त नहीं है, इस बिल को संसद में पेश करने से पहले विधि आयोग ने इसकी संतुति भी दी है. 


वहीं इस बिल पर बोलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि मुझे दुख है ये बिल संविधान को तोड़ रहा है. इस बिल को लाने से पहले कोई सुझाव नहीं लिया गया है. चिदंबरम ने कहा कि मेरे सहयोगी लगातार इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की बात कर रहे हैं और मेरे हिसाब से इसमें कुछ गलत नहीं है. अगर हमने कानून के संशोधन के लिए 102 साल इंतजार किया है तो आखिर 102 दिन और इंतजार क्यों नहीं कर सकते. चिदंबरम ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है इस वजह से हमें इस बिल का विरोध कर रहे हैं. 


बिल पर चर्चा के दौरान पूर्व डीजीपी और मौजूदा बीजेपी सांसद बृजलाल ने गोधरा कांड का भी जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना को एक अलग स्वरूप देने की कोशिश की गई थी, इसी वजह से जरूरी है कि कानून में संशोधन हो. बृजलाल ने इसके अलावा दिल्ली के बाटला हाउस की घटना का भी जिक्र करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों ने वहां पर भी राजनीति करने की कोशिश की थी और आतंकियों के लिए आंसू बहाए थे. बृजलाल के इस बयान पर सदन में थोड़ा हंगामा भी हुआ जिसके बाद अमित शाह ने कहा कि बृजलाल ने जो कहा है वह सही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में माना है.


अमित शाह ने कहा कि यह संशोधन इस वजह से किया जा रहा है कि गंभीर अपराधों में शामिल लोग सबूतों के अभाव में बरी ना हो जाएं. हत्या के मामले में निचली अदालत में महज 44 फीसदी लोगों को सजा मिल पाती है. बाल अपराध के मामलों में 37% मामलों में ही सज़ा हो पाती है. अलग-अलग देशों का जिक्र करते हुए शाह ने बताया कि कैसे वहां पर कानून सख़्त हैं और उसकी वजह से दोषियों को सजा मिलती है.


गृहमंत्री शाह ने बताए विधेयक के फायदे
अमित शाह ने कहा कि इस बिल को लाने का मकसद साइंटिफिक एविडेंस को मजबूत करने का है और इससे जुड़ा सारा रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं बल्कि एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास रहेगा. कैसे इस बिल से फायदा होगा इसका उदाहरण देते हुए अमित शाह ने कहा कि अगर किसी महिला के साथ बलात्कार जैसी घटना होती है तो पुलिस की जांच में आरोपियों से जुड़ा जो भी बायोलॉजिकल सैंपल आएगा उसकी जानकारी एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के पास भेजी जाएगी और नेशनल रिकॉर्ड ब्यूरो के पास पहले से ही जो आरोपियों के साइंटिफिक रिकॉर्ड होंगे उनसे मिलान के बाद पता चल जाएगा कि क्या अपराध को पहले किसी घटना में शामिल रहे अपराधी ने अंजाम दिया या कोई नया शख्स है. ऐसे पुलिस का काम काफी आसान हो जाएगा और किसी की निजता का हनन भी नहीं होगा.


गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ये जितने भी संशोधन किए जा रहे हैं ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट पुलिसिंग के सपने को साकार करने की तरह आगे बढ़ने वाले कदम हैं. इस बिल का कोई भी प्रावधान नार्कोएनालिसिस और ब्रेन मैपिंग की इजाजत नहीं देता. राजनीतिक मामलों में यह लागू नहीं होगा लेकिन अगर कोई भी राजनीतिक व्यक्ति किसी गंभीर आपराधिक मामले में शामिल होगा तो वहां पर तो कानून अपना काम करेगा. करीब 4 घंटे तक चली बहस के बाद राज्यसभा से भी सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल पास हो गया. संसद के दोनों सदनों से अब ये बिल पास हो चुका है, लिहाजा राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जल्द ही यह कानून की शक्ल ले लेगा.


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