कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सोमवार (15 दिसंबर, 2025) को राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा करते हुए तीखी बहस की. उन्होंने सरकार पर तीखा हमला करते हुए चुनावी प्रक्रिया में सिस्टमैटिक गड़बड़ियों का आरोप लगाया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव पर सवाल उठाया.
इस दौरान दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि अमित शाह कभी RSS में नहीं थे. उन्होंने यह दावा करते हुए अपने इस बयान को गलत साबित करने की चुनौती भी दे डाली. उनके इस बयान का सत्ता पक्ष के सांसदों ने कड़ा विरोध किया.
अमित शाह के बयान का हवाला देते हुए बोले दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से RSS को दुनिया का सबसे बड़ा NGO बताया था. राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पीएम और वह स्वयं RSS की विचारधारा को फॉलो करते हैं’, लेकिन सिंह ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘जहां पीएम मोदी गर्व से अपने आरएसएस बैकग्राउंड के बारे में बात करते हैं, वहीं अमित शाह असल में कभी आरएसएस का हिस्सा नहीं रहे हैं.’
अमित शाह के दावे पर बोले कांग्रेस सांसद
कांग्रेस सांसद ने राज्यसभा में शाह के एक बयान का हवाला दिया, जिसमें अमित शाह ने पीएम मोदी के बारे में कहा था कि गर्व से कहते हैं कि पीएम मोदी संघ के प्रचारक रहे हैं. सिंह ने यह भी कहा कि शाह ने दावा किया था कि उन्होंने 10 साल की उम्र में RSS की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था. हालांकि, सिंह ने कहा कि आरएसएस में उनके अपने दोस्तों ने उन्हें बताया कि शाह कभी RSS से जुड़े नहीं थे.
इस टिप्पणी पर सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने जोरदार विरोध किया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल खड़े हुए और कांग्रेस सांसद पर अमित शाह के पहले के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया.
दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में किया दावा
दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि गृह मंत्री अमित शाह कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से उठाए गए मुख्य मुद्दों पर जवाब देने में विफल रहे हैं, जिनमें मशीन-रीडेबल डिजिटल वोटर लिस्ट की मांग, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का पारदर्शी ऑडिट, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार और पोलिंग स्टेशनों से सीसीटीवी फुटेज हटाने के बारे में स्पष्टीकरण शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से CEC को एक पत्र लिखा था, जिसका कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने आरोप लगाया, ‘या तो चुनाव आयोग गृह मंत्री को गुमराह कर रहा है या गृह मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं.’ इसके साथ ही उन्होंने जवाबदेही और कार्रवाई की भी मांग की.
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